लम्हों ने खता की थी
पहले मैं सोचता था,कि 'एकला चालो रे '
जीवन का सफर तन्हा ,लगने लगा दुखदायी
शादी के लेने फेरे ,कुछ लम्हे ही लगे थे ,
लम्हों ने खता की थी,सदियों ने सज़ा पायी
जैसे ही सर मुंडाया ,ओले लगे बरसने ,
घर के न घाट के अब , हालत है ये बनायी
ना तो रहे इधर के ,ना ही रहे उधर के ,
ना चैन ही मिला और ना शांति ही मिल पायी
घोटू
पहले मैं सोचता था,कि 'एकला चालो रे '
जीवन का सफर तन्हा ,लगने लगा दुखदायी
शादी के लेने फेरे ,कुछ लम्हे ही लगे थे ,
लम्हों ने खता की थी,सदियों ने सज़ा पायी
जैसे ही सर मुंडाया ,ओले लगे बरसने ,
घर के न घाट के अब , हालत है ये बनायी
ना तो रहे इधर के ,ना ही रहे उधर के ,
ना चैन ही मिला और ना शांति ही मिल पायी
घोटू
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