नफरत की दीवारें
तुम भी इन्सां ,हम भी इन्सां ,हम में कोई फर्क नहीं है
अलग अलग रस्तों पर चलते,आपस में संपर्क नहीं है
सब है हाड मांस के पुतले ,एक सरीखे ,सुन्दर प्यारे
कोई हिन्दू ,कोई मुसलमां ,खड़ी बीच में क्यों दीवारें
ध रम ,दीन ,ईमान हमेशा, फैलाता है भाईचारा
तो क्यों नाम धरम का लेकर ,आपस में होता बंटवारा
ठेकेदार धरम के है कुछ, जो है ये नफरत फैलाते
भाई भाई आपस में लड़वा ,है अपनी दूकान चलाते
घोटू
तुम भी इन्सां ,हम भी इन्सां ,हम में कोई फर्क नहीं है
अलग अलग रस्तों पर चलते,आपस में संपर्क नहीं है
सब है हाड मांस के पुतले ,एक सरीखे ,सुन्दर प्यारे
कोई हिन्दू ,कोई मुसलमां ,खड़ी बीच में क्यों दीवारें
ध रम ,दीन ,ईमान हमेशा, फैलाता है भाईचारा
तो क्यों नाम धरम का लेकर ,आपस में होता बंटवारा
ठेकेदार धरम के है कुछ, जो है ये नफरत फैलाते
भाई भाई आपस में लड़वा ,है अपनी दूकान चलाते
घोटू
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