चार दिन
चार दिनों के लिये चांदनी ,फिर अंधियारा ,
यही सिलसिला पूरे जीवन भर चलता है
उमर चार दिन लाये ,दो दिन करी आरज़ू ,
बाकी दो दिन इन्तजार की व्याकुलता है
चार दिनों के लिए ,अचानक पति देवता,
जाय अकेले ,कहीं घूमने ,ना खलता है
चार दिनों तक छुट्टी करले,अगर न आये ,
बाई कामवाली तो काम नहीं चलता है
घोटू
चार दिनों के लिये चांदनी ,फिर अंधियारा ,
यही सिलसिला पूरे जीवन भर चलता है
उमर चार दिन लाये ,दो दिन करी आरज़ू ,
बाकी दो दिन इन्तजार की व्याकुलता है
चार दिनों के लिए ,अचानक पति देवता,
जाय अकेले ,कहीं घूमने ,ना खलता है
चार दिनों तक छुट्टी करले,अगर न आये ,
बाई कामवाली तो काम नहीं चलता है
घोटू
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