हम तुम -संग संग
मैं काहे कोठी, बंगला लूँ ,
या फ्लेट कहीं बुक करवालूँ
मेरे रहने को तेरे दिल का एक कोना ही काफी है
क्यों चाट पकोड़ी मैं खाऊँ
'डोमिनो' पिज़ा मंगवाऊँ
मेरे खाने को तुम्हारी ,मीठी सी झिड़की काफी है
क्यों पियूं कोई शरबत,पेप्सी
बीयर ,दारू या फिर लस्सी
मेरे पीने को तुम्हारा ,ये रूप, प्रेम रस काफी है
मैं तेरे दिल में बस जाऊं
और नैनों में तुम्हे बसाऊं
खुदमें खुद बस कर मुझे मिले,संग तुम्हारा काफी है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
मैं काहे कोठी, बंगला लूँ ,
या फ्लेट कहीं बुक करवालूँ
मेरे रहने को तेरे दिल का एक कोना ही काफी है
क्यों चाट पकोड़ी मैं खाऊँ
'डोमिनो' पिज़ा मंगवाऊँ
मेरे खाने को तुम्हारी ,मीठी सी झिड़की काफी है
क्यों पियूं कोई शरबत,पेप्सी
बीयर ,दारू या फिर लस्सी
मेरे पीने को तुम्हारा ,ये रूप, प्रेम रस काफी है
मैं तेरे दिल में बस जाऊं
और नैनों में तुम्हे बसाऊं
खुदमें खुद बस कर मुझे मिले,संग तुम्हारा काफी है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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