Tuesday, January 26, 2016

                           अपहरण

मैंने थाने में लिखाई  ये रपट , चार  दिन से  हुआ सूरज  लापता
दरोगा ने मुझसे ये दरयाफ्त की ,अकेला या गया कुछ लेकर, बता
मैंने बोला' क्या बताऊँ तभी से ,'धूप 'भी गायब है,मन में क्लेश है
दरोगा बोले,नहीं गुमशुदाई ,अपहरण का ये तो लगता  केस  है
अच्छा ये बतला ,उमर क्या धूप की,कहीं नाबालिग तो ना थी छोकरी
कब से दोनों का था चक्कर चल रहा ,और कहाँ था ,सूर्य करता  नौकरी
फिरौती का कहीं तेरे पास तो,कहीं से कुछ फोन तो  आया  नहीं
मैंने बोला ,नहीं,पर उस रोज से ,नज़र मुझको आ रही 'छाया'कहीं
दरोगा जी बोले 'तू मत कर फिकर ,झेल दो दो लड़कियां ना पायेगा
एक मुश्किल से संभलती ,दो के संग,परेशां हो लौट खुद ही आएगा '

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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