एक अरसा गुजर गया
सोने की लालसा ,
आग की सुनहरी लपटों की तरह ,
इस तरह फ़ैल रही है ,
कि आदमी के जागने और सोने में,
कोई अंतर ही नहीं रह गया है
नैतिकता ,जल रही है,
और रह रह कर ,
काले धुवें का गुबार ,
वातावरण को
इस तरह आच्छादित कर रहा है,
कि मुझे स्वच्छ नीला आसमान देखे ,
एक अरसा गुजर गया है
घोटू
सोने की लालसा ,
आग की सुनहरी लपटों की तरह ,
इस तरह फ़ैल रही है ,
कि आदमी के जागने और सोने में,
कोई अंतर ही नहीं रह गया है
नैतिकता ,जल रही है,
और रह रह कर ,
काले धुवें का गुबार ,
वातावरण को
इस तरह आच्छादित कर रहा है,
कि मुझे स्वच्छ नीला आसमान देखे ,
एक अरसा गुजर गया है
घोटू
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