आशिक़ी और होली
जलवा दिखा के हुस्न का ,हमको थी जलाती ,
ये जान कर भी रूप पर ,उनके हम फ़िदा है
हमको न घास डालती थी जानबूझ कर ,
हम समझे हसीनो की ये भी कोई अदा है
देखा जो किसी और को बाहों में हमारी ,
मारे जलन के ,दिलरुबा ,वो खाक हो गयी
प्रहलाद सलामत रहा,होलिका जल गयी,
ये तो पुरानी, होली वाली ,बात हो गयी
घोटू
जलवा दिखा के हुस्न का ,हमको थी जलाती ,
ये जान कर भी रूप पर ,उनके हम फ़िदा है
हमको न घास डालती थी जानबूझ कर ,
हम समझे हसीनो की ये भी कोई अदा है
देखा जो किसी और को बाहों में हमारी ,
मारे जलन के ,दिलरुबा ,वो खाक हो गयी
प्रहलाद सलामत रहा,होलिका जल गयी,
ये तो पुरानी, होली वाली ,बात हो गयी
घोटू
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