Saturday, March 12, 2016

          हम अंग्रेजी छोड़ न पाये

अंग्रेजों ने भारत छोड़ा,हम अंग्रेजी छोड़ न पाये
रहे गुलामी में ही बंध कर,वो जंजीरें तोड़ न पाये
केवल नहीं बोलते,पढ़ते,अंग्रेजी है ,पीते ,खाते
बच्चे जाते ,इंग्लिश स्कूल ,अपनी भाषा बोल न पाते
नहीं जलेबी,पोहा,इडली,उन्हें चाहिए पीज़ा,बरगर
करे नाश्ता,खाएं पास्ता। ऐसा भूत चढ़ा है सर पर
कहते है माता को मम्मी,'डेड'पिताजी को कहते है
बिन शादी के,लड़की लड़के ,पति पत्नी जैसे रहते है
धर्म कर्म और संस्कार को,इनने बिलकुल भुला दिया है
मातपिता को वृद्धाश्रम में ,भेज दिया और रुला दिया है
इंग्लिश में तारीफ़ करते है ,इंग्लिश में देते है गाली
इनके लिए ,महज छुट्टी ही ,होती होली और दिवाली
यूं त्योंहार मनाया जाता ,होटल जाते ,खाना खाने
जबसे 'योग 'बना है 'योगा',इसे लगे है ये अपनाने
भूल गए 'बसंत पंचमी' 'वेलेंटाइन'दिवस मनाते
दे कर कार्ड ,मदर फादर डे ,को है अपना फर्ज निभाते
राग रागिनी ,ना मन भाती, पाश्चात्य संगीत  लुभाता 
इंग्लिशदां लोगों से मिलना जुलना और रखते है नाता
भारतीय संस्कृति भुला कर ,पाश्चात्य में ऐसे भटके
न तो इधर के,नहीं उधर के ,बने त्रिशंकु से हम लटके
वेद,उपनिषद,गीता,गंगा, से हमख़ुद को जोड़ न पाये
अंग्रेजों ने भारत छोड़ा ,हम अंग्रेजी ,छोड़  न पाये

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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