छेड़छाड़
किसी के साथ कभी छेड़खानी मत करना ,
हमेशा इसका तो अंजाम बुरा होता है
सूखते घावों को मत छेड़ो,लगेगें रिसने,
छेड़खानी का हर काम बुरा होता है
शहद के छत्ते को ,थोड़ा सा छेड़ कर देखो ,
काट,मधुमख्खियां बदहाल तुम्हे कर देंगी
करोगे छेड़खानी ,राह चलती लड़की से,
भरे बाज़ार में ,इज्जत उतार रख देगी
कोई सोते हुए से शेर को जो छेड़ोगे ,
तुम्हे पड़ जाएंगे ,लेने के देने ,रोवोगे
किसी कुत्ते को जो छेड़ोगे ,काट खायेगा ,
सांप को छेड़ोगे तो प्राण अपने खोवोगे
भूल से भी किसी नेता छेड़ मत देना ,
फ़ौज चमचों की ,वर्ना तुमपे टूटेगी यो ही
सभी के साथ चलो,राग अपना मत छेड़ो,
तूती की ,सुनता ना ,नक्कारखाने में कोई
किसी के साथ करी ,कोई छेड़खानी का ,
नतीजा कभी भी ,अच्छा न निकलता देखा
हमने ,कुदरत से करी ,जब से छेड़खानी है ,
संतुलन सारा है दुनिया का बदलता देखा
जबसे छेड़ा है हमने फैले हुए जंगल को ,
बदलने लग गया तबसे मिजाज ,मौसम का
छेड़खानी जो करी हमने हवा पानी से,
बिगड़ पर्यावरण ने ,सबको दिया है धमका
हवा गरम ही नहीं ,हो रही है दूषित भी ,
प्राणवायु के श्रोत ,हो रहे है जहरीले
आओ सम्पन्नं करें फिर से सम्पति वन की ,
उगाये अधिक वृक्ष और सुख से हम जी लें
छेड़ना है तो फिर अपने जमीर को छेड़ें ,
आत्मा सोई है , छेड़ें , उसे जगाएं हम
धरम के नाम पर जेहाद नहीं छेड़ें हम ,
प्रेम और दोस्ती का राग छेड़ ,गायें हम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
किसी के साथ कभी छेड़खानी मत करना ,
हमेशा इसका तो अंजाम बुरा होता है
सूखते घावों को मत छेड़ो,लगेगें रिसने,
छेड़खानी का हर काम बुरा होता है
शहद के छत्ते को ,थोड़ा सा छेड़ कर देखो ,
काट,मधुमख्खियां बदहाल तुम्हे कर देंगी
करोगे छेड़खानी ,राह चलती लड़की से,
भरे बाज़ार में ,इज्जत उतार रख देगी
कोई सोते हुए से शेर को जो छेड़ोगे ,
तुम्हे पड़ जाएंगे ,लेने के देने ,रोवोगे
किसी कुत्ते को जो छेड़ोगे ,काट खायेगा ,
सांप को छेड़ोगे तो प्राण अपने खोवोगे
भूल से भी किसी नेता छेड़ मत देना ,
फ़ौज चमचों की ,वर्ना तुमपे टूटेगी यो ही
सभी के साथ चलो,राग अपना मत छेड़ो,
तूती की ,सुनता ना ,नक्कारखाने में कोई
किसी के साथ करी ,कोई छेड़खानी का ,
नतीजा कभी भी ,अच्छा न निकलता देखा
हमने ,कुदरत से करी ,जब से छेड़खानी है ,
संतुलन सारा है दुनिया का बदलता देखा
जबसे छेड़ा है हमने फैले हुए जंगल को ,
बदलने लग गया तबसे मिजाज ,मौसम का
छेड़खानी जो करी हमने हवा पानी से,
बिगड़ पर्यावरण ने ,सबको दिया है धमका
हवा गरम ही नहीं ,हो रही है दूषित भी ,
प्राणवायु के श्रोत ,हो रहे है जहरीले
आओ सम्पन्नं करें फिर से सम्पति वन की ,
उगाये अधिक वृक्ष और सुख से हम जी लें
छेड़ना है तो फिर अपने जमीर को छेड़ें ,
आत्मा सोई है , छेड़ें , उसे जगाएं हम
धरम के नाम पर जेहाद नहीं छेड़ें हम ,
प्रेम और दोस्ती का राग छेड़ ,गायें हम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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