Sunday, August 7, 2016

    चना  अकेला भाड़ न फोड़े

नहीं केले  ,कभी भी, अकेले लगा करते ,
लड़ी में बंध  के,सदा ,साथ साथ बढ़ते है
रसीली लीचियाँ भी गुच्छे में गुंथी रहती ,
पेड़ों पर आम के  गुच्छे दिखाई पड़ते  है
भले ही काले हो या फिर हरे या कैसे भी,
झुण्ड के झुण्ड में अंगूर साथ है सब ही
साथ रहने से ही इनमे मिठास आता है ,
और बढ़ता है इन सभी का जायका तब ही
पंछी को देखो सदा ,रहा करते झुंडों में ,
संग रहती है मधुमख्खिया,बनता है शहद
एक एक फूल से जाकर के रस मधुर लाना ,
कौन करता है अकेले में इतनी जद्दोजहद
एक ही पेड़ पर फल साथ साथ है  लगते ,
एक संयुक्त सा परिवार उनका होता है
एक फल देखा अनन्नास का ही ,है केवल,
कँटीली खाल का है,और अकेले होता है
बड़ी ही शक्ति ,संगठन में है हुआ करती,
अकेला हो जो चना,भाड़ कभी ना फोड़े
इसलिए अच्छा है हम मिल के रहे आपस में,
एक दूजे का कभी भी हम साथ ना छोड़े

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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