Sunday, September 18, 2016

चन्दन और पानी

तुमने अपने मन जीवन में ,
जबसे मुझे कर लिया शामिल
जैसे चन्दन की लकड़ी को,
गंगाजल का साथ गया मिल
कभी चढूं विष्णु चरणों पर
कभी चढूं शिव के मस्तक पर
अपनेजीवन करू समर्पित,
प्रभु पूजन में ,घिस घिस,तिल तिल 
सुखद सुरभि  मै फैलाऊंगा
शीतलता ,तन पर  लाऊंगा
औरों को सुख देना ही तो,
मेरा मकसद,मेरी मंजिल

घोटू

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