अब तो शिद्दत हो गयी
चर्चा करते करते मुद्दों की ,तो मुद्दत हो गयी
नतीजा कुछ भी न निकला ,अब तो शिद्दत हो गयी
अभी तक भी कंवारा ,बैठा है मेरा यार वो ,
रोज कहता था फलां से ,उसको उल्फत हो गयी
शमा जलती ही रही ,कुछ फर्क ना उसको पड़ा,
मुफ्त में परवाने कितनो , की शहादत हो गयी
सीमा पर कितने ही सैनिक मरे ,सब चलता रहा ,
एक एम पी मर गया तो बन्द संसद हो गयी
करोड़ों का काला पैसा ,जमा जिनके पास था ,
नोटबन्दी क्या हुई ,उनको तो हाजत हो गयी
दे दिया औरों के हाथों ,साइकिल का हेंडिल,
बाप बेटे लड़ लिए , कुर्सी मुसीबत हो गयी
जबसे पिछड़ापन तरक्की की गारन्टी बन गया ,
लाभ लेने वालों की ,लम्बी सी पंगत हो गयी
निगलते भी नहीं बनता ,ना ही बनता उगलते,
अब तो इस माहौल में ,रहने की आदत हो गयी
मदन मोहन बाहेती;घोटू;
No comments:
Post a Comment