क्या करें
आदतें बिगड़ी पड़ी है ,क्या करें
आशिक़ी सर पर चढ़ी है ,क्या करें
बीबी हम पर रखती हरदम चौकसी ,
मुसीबत बन कर खड़ी है,क्या करें
कहीं नेता ,कहीं बाबा लूटते,
अस्मतें ,सूली चढ़ी है ,क्या करें
काटने को दौड़ती है हर नज़र,
हरतरफ मुश्किल बड़ी है,क्या करें
जिधर देखो उधर घोटाले मिले ,
हर तरफ ही गड़बड़ी है ,क्या करें
किसी को भी ,किसी की चिंता नहीं,
सभी को अपनी पड़ी है ,क्या करें
चैन से ,पल भर कोई रहता नहीं,
सबको रहती हड़बड़ी है ,क्या करें
'घोटू'करना चाहते है बहुत कुछ ,
जिंदगी पर, दो घड़ी है,क्या करें
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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