जिंदगी और मिठाइयां
हमारी जिंदगी में ,
मिठाइयों का रोल है कितना अहम
कि अपनी कोई भी ख़ुशी का प्रदर्शन
मिठाई बाँट कर ही करते है हम
जन्मदिन हो या विवाह हो
या पूरी हुई ,संतान पाने की चाह हो
आपने नया घर बनाया हो
या बच्चे का अच्छा रिजल्ट आया हो
सगाई हो या रोका हो
कोई भी ख़ुशी का मौक़ा हो
त्योंहार हो या कोई शुभप्रसंग
अपनी प्रसन्नता प्रकट करने का ,
सबसे अच्छा ढंग
यह कि सब मिलने जुलने वालों का ,
मुंह मीठा करवाया जाता है
मिठाइयों का खुशीयों से ,
चोली और दामन का नाता है
अरे और तो और ,
भगवान से जब लेना होता है आशीर्वाद
तो उन्हें भी चढ़ाया जाता है ,
मिठाइयों का ही परशाद
गणेश जी को मोदक और ,
हनुमानजी को बेसन के लड्डू भाते है
और कृष्ण भगवान को,
छप्पन भोग चढ़ाते है
पर आजकल हम,
मोटा न होने के चक्कर में
या फिर डाइबिटीज के डर में
जब परहेज से रहते है,
मिठाइयां नहीं खाते है
हम दुनिया की कितनी अच्छी चीजों के ,
स्वाद से वंचित रह जाते है
गरम गरम रस टपकाती जलेबियाँ
जो पहली नज़र में ही चुरा लेती है जिया
मुंह में पानी आ जाता है जिनका नाम सुन
रसगुल्ले या गुलाबजामुन
दूर से अपनी और खींचता है जिनका जलवा
मूंग की दाल का या गाजर का हलवा
देखते हम जिन पर हो जाते है लट्टू
बूंदी के प्यारे प्यारे गोलमोल लड्डू
क़त्ल करता हुआ ,चांदी की वर्क चढ़ी ,
काजू की कतलियों का यौवन
देख कर नहीं डोलेगा किसका मन
और वो आपके सामने अंगड़ाइयां भरती
रस भरी प्यारी सी इमरती
या वो मन मोहते हुए रबड़ी के लच्छे
देख कर मुंह में पानी भरते अच्छे अच्छे
लवंगलता और बालूशाही की मिठास
जो आपके लिए बनी है ख़ास
ये इतनी सारी मिठाइयां ,
आपको दे रही हो निमंत्रण
और ललचाई नज़रों से ,
आप खुद पर कर रहे है नियंत्रण
क्यों आप इन सबका मोह त्याग कर, बेकार
अपनी जुबान पर करते है अत्याचार
क्योंकि यदि आप अपनी जिव्हा को तरसाएगे
तो बड़ा दुःख पाएंगे
अरे अगर कुछ केलोरियाँ ,
ज्यादा भी खा ली जाएंगी
दो चार किलोमीटर घूमने में जल जाएंगी
पर बिना खाये जो आपका मन जलेगा
आपको बहुत खलेगा
ये दो इंच की लपलपाती जिव्हा
जब तक तृप्त रहेगी
तब तक मस्त रहेगी
अगर मीठा खायेगी
तो मीठा बतियायेगी
और अगर तरसेगी
तो कहर बन के बरसेगी
और अगर ये गलती से मचल गयी
बगावत करके फिसल गयी
तो फिर ये बड़ा सताएगी
मुंह से निकली बात वापस न आएगी
इसलिए इस रसना को।
रसास्वादन करने दो
इसे तृप्त रखो ,इसमें मिठास भरने दो
मीठा मीठा बोल कर सबका मन लुभावो
जी भर के मिठाइयां खाओ ,
और सबको खिलाओ
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
No comments:
Post a Comment