न जाने कौन,कब किस दिन....
किसी से भी कभी यारों
न कोई दुश्मनी पालो
न जाने कौन,कब किस दिन ,तुम्हारे काम आ जाये
मिटा दो मैल सब मन का
भरोसा क्या है जीवन का ,
न जाने किस घडी ,इस जिंदगी की शाम आ जाये
वही वो काम कर सकता ,
है जिसका काम जो होता
नहीं तलवार कर सकती,
सुई का काम जो होता
दवा जब बेअसर होती,
टोटके काम कर जाते
जो शेरो से नहीं डरते,
वो मच्छर से भी डर जाते
करे कोई, भरे कोई
दोष किसका,मरे कोई
खतावार दूसरा हो पर ,तुम्हारा नाम आ जाये
न जाने कौन कब किस दिन तुम्हारे काम आजाये
कभी ये हो नहीं सकता
कि सबसे दोस्ताना हो
समझकर सोच कर परखो,
हाथ जिससे मिलाना हो
दोस्ती गर न कर पाओ ,
करो ना दुश्मनी भी तुम
बना कर जो नहीं रख्खो ,
करो ना अनबनी भी तुम
मिलो तुम मुस्करा सबसे
बुरा सोचो नहीं अब से
बुराई करने वाले का ,बुरा अन्जाम आ जाये
न जाने कौन कब किस दिन ,तुम्हारे काम आजाये
कभी अनजान भी कोई ,
फरिश्ता बन के आता है
मुसीबत में ,मदद देता
सभी बिगड़ी बनाता है
ख़ुशी में होते सब शामिल,
कभी गम में सहारा दो
किसी भी डूबते को तुम,
बचाओ और ,किनारा दो
किसी के श्राप से तुम गर,
अहिल्या से बनो ,पत्थर ,
करे उद्धार तुम्हारा ,कोई बन राम आ जाये
न जाने कौन कब किस दिन ,तुम्हारे काम आजाये
ख़ुशी बांटो तो दूनी है ,
जो गम बांटो तो आधे है
सफलताएं चरण छूती ,
अगर अच्छे इरादे है
दुखाओ मत किसीका दिल,
कोई की बददुआ मत लो
रखो विश्वास तुम खुद पर,
हौसला और हिम्मत लो
आशीषें हो बुजुर्गों की
फतह करवाती दुर्गों की
तुम्हारी जीत निश्चित गर,कभी संग्राम आ जाये
न जाने कौन कब किस दिन तुम्हारे काम आजाये
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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