Tuesday, September 26, 2017

तिल 

दिखने में अदना होता पर ,बहुत बड़ा इसका दिल होता 
यूं तो तेल ,तिलों से निकले,बिना तेल का भी  तिल होता 
इसकी लघुता मत देखो ,यह ,होता बड़ा असरकारक है 
ख़ास  जगह पर तिल शरीर में ,हो तो वो लाता 'गुडलक'है 
गालों पर तिल ,जालिम होता ,होठों पर तिल ,कातिल होता 
किस्मतवाला वो होता है ,जिसके हाथों में तिल  होता 
तिल मस्तक पर ,बुद्धिदायक,अच्छी बुद्धि,सद्विचार दे
तिल कलाई में ,देता कंगना,तिल गर्दन में,कंठहार दे 
तिल 'ब्यूटीस्पॉट'कहाता ,सबके मन को प्यारा लगता 
चन्द्रमुखी के चेहरे का भी,दूना रूप निखारा करता 
तिल में भी तो रंगभेद है ,कुछ सफ़ेद तिल ,कुछ तिल काले 
कर्मकांड और यज्ञ हवन में , काले तिल ही  जाते  डाले 
तिल सफ़ेद,मोती के जैसा ,कभी रेवड़ी पर है चढ़ता 
स्वाद बढ़ाता है चिक्की का,और गजक को खस्ता करता 
विरह पीर में तिलतिल जल कर ,दिन गुजारना खेल नहीं है 
बात बना, कुछ कर ना पाते ,उन तिल में कुछ तेल  नहीं है  
छोटी सी हो बात लोग कुछ ,इतनी उसे हवा देते है 
अपनी बातों के तिलिस्म से,तिल का  ताड़ बना देते है 
तिल भर होती जगह नहीं पर ,फिर भी लोग समा सकते है 
तिलतिल कर ,हम आगे बढ़ कर,अपनी मंजिल पा सकते है 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

No comments:

Post a Comment