नारी ,तुझमे ऐसा क्या है
नारी तुझमे ऐसा क्या है
जिसकी दीवानी दुनिया है
क्या वह तेरी कोमलता है ,
या फिर तेरा कमनीय बदन
या फिर तेरी सुंदरता है ,
या मांसल और गदराया तन
या फिर ये नयन कटीले है,
या चाल हिरणियों वाली है
रेखाएं वक्र,बदन की है ,
या फिर होठों को लाली है
या अमृत कलश सजे तन पर ,
या मीठी बोली कोयल सी
या लहराते कुन्तल तेरे ,
मन में करते कुछ हलचल सी
पर शायद ये सब नहीं सिरफ ,
ये तो बस एक दिखावा है
तेरी माँ बनने की क्षमता
ने देवी तुझे बनाया है
ईश्वर ने कोख तुझे दी है ,
तुझमे प्रजनन की शक्ति है
नवजीवन का इस दुनिया में ,
संचार तू ही कर सकती है
तू माँ है,तुझमे ममता है ,
लालन ,पालन और पोषण है
कोमल तन से ज्यादा कोमल ,
होता हर नारी का मन है
तू अन्नपूर्णा है देवी ,
गृहणी,घर की संचालक है
तू लक्ष्मी तू ही सरस्वती ,
तू दुर्गा ,शक्तिदायक है
संगम है रूप गुणों का तू,
तू गंगा है तू यमुना है
तू जीवनदात्री देवी है ,
जिससे चलती ये दुनिया है
मदन मोहन बाहेती'घोटू'
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