सर्व सुलभ तू मुझे बनाना
हे प्रभु यदि दो पुनर्जन्म और मुझे पड़े धरती पर आना
सर्वसुलभ और बहुउपयोगी ,मिलनसार तू मुझे बनाना
प्यार करे सब ,हर मौसम में ,रहूँ जमीन से ,जुड़ा हमेशा
अगर बनाओ यदि जो सब्जी ,मुझे बनाना आलू जैसा
बेंगन हो या मेथी,पालक ,फली मटर की ,या फिर गोभी
रंग ना देखूं ,स्वाद बढ़ाऊं मिले साथ में ,मुझसे जो भी
समा समोसे में मन भाऊ ,भरा रहूँ मै ,वड़ा पाव में
मुझे परांठे में भर कर के ,लोग नाश्ता ,करें चाव में
कभी चाट आलू टिक्की में ,या डोसे का बनू मसाला
या फिर गरम पकोड़े में तल,निखरे मेरा ,स्वाद निराला
'क्रिस्पी 'कभी बनू 'वेफर'सा ,या फिर 'फ्रेंच फ़्राय'सा प्यारा
हे भगवान ,बनाना मुझको ,आलू जैसा सर्व दुलारा
या फिर जनजन का मन प्रिय बन शक्ति का मै बनू खजाना
प्रभु जो मुझको अन्न बनाओ तो मुझको तुम चना बनाना
ताकत मिले ,भिगो खाने में ,खाओ भून कर ,भूख मिटाओ
छोले चांवल ,चना भठूरे ,लेकर स्वाद,,प्रेम से खाओ
दाल बना ,खाओ रोटी संग ,या तल कर नमकीन बनाओ
और पीसो तो ,बेसन बन कर ,कई ढंग से स्वाद बढ़ाओ
कभी पकोड़ी जैसा तल लो ,कभी भुजिया ,सेव बनालो
कभी बना ,बेसन के लड्डू या बूंदी परशाद चढ़ा लो
बेसन की प्यारी सी बरफी ,या फिर मोतीचूर सुहाना
या हल्दी और तैल मिलाकर ,उबटन बना ,रूप निखराना
मीठा या नमकीन सभी कुछ ,बनकर सबका मन ललचाना
सर्वसुलभ और बहु उपयोगी ,हे भगवन ,तू मुझे बनाना
मदन मोहन बाहेती'घोटू'