धूप भरी सन्डे दोपहरी -वर्किंग कपल की
आओ ,जिंदगी के कुछ लम्हे ,संग बितालें ,हम तुम मिल कर
गरम धूप में ,तन को सेकें ,खाएं मूंगफली छील छील कर
आओ मतलब हीन करें कुछ बातें यूं ही बचपने वाली
या फिर सूरज की गर्मी में चुप चुप बैठें,खाली खाली
आओ बिताये ,कुछ ऐसे पल ,जिनमे कोई फ़िक्र नहीं हो
घर की चिंताएं ,दफ्तर की बातों का कुछ जिक्र नहीं हो
इस सर्दी के मौसम की ये प्यारी धूप भरी ,दोपहरी
उसपर रविवार की छुट्टी,लगे जिंदगी ,ठहरी ठहरी
पियें गरम चाय ,चुस्की ले ,संग में गरम पकोड़े खायें
हफ्ते भर में ,एक दिवस तो,हंस कर खुद के लिए बितायें
लेपटॉप ,मोबाईल छोड़े,यूं ही बैठें, हाथ पकड़ कर
वरना कल से वही जिंदगी ,तुम अपने ,मैं अपने दफ्तर
मदन मोहन बाहेती 'घोटू'
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