हम ओ सी के वासी
ये ही हमारा वृन्दावन है ,ये ही मथुरा ,काशी
शांति,प्रेम का जीवन जीते ,हम ओसी के वासी
वानप्रस्थ की उमर ,जवानी का जज्बा है सब में
मन में सेवा भाव भरा है और आस्था रब में
राधाकृष्ण यहीं मंदिर में ,दुर्गा माँ और हनुमन
भक्तिभाव में और कीर्तन में ,रमता है सबका मन
शर्बत,छाछ छबीले लगते ,और होते भंडारे
जन्म दिवस की ख़ुशी मनाते है मिलजुल कर सारे
खुल कर हँसते लाफिंगक्लब में,मन में नहीं उदासी
शांति प्रेम का जीवन जीते ,हम ओसी के वासी
सुबह सुबह व्यायाम केंद्र में ,नित होती है कसरत
काम सभी के सब आते है,जब भी पड़ती जरूरत
क्रीड़ास्थल पर बच्चे खेलें , और गूंजे किलकारी
फव्वारों के पास मारती ,गप्पें ,महिला सारी
कोई सैर सवेरे करता ,कोई 'जिम' में जाता
हमें यहाँ दिखता हर चेहरा ,हँसता और मुस्काता
खुशियां बरसे सदा,अमावस हो या पूरनमासी
शन्ति प्रेम का जीवन जीते ,हम ओसी के वासी
मदन मोहन बाहेती ' घोटू '
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