Friday, November 9, 2018

          दानी श्रेष्ठ चन्द्रमा 

सूर्य से ले रौशनी तू उधारी में 
            ,मुफ्त सबको चांदनी  बांटे  सुहानी 
अपनी सोलह कलायें सब पर बिखेरे ,
          तुझसे बढ़ कर भला होगा कौन दानी 
समुन्दर मंथन किया ,अमृत पिया था ,
              शरद पूनम पर उसे भी तू लुटाता 
कभी घटता ,कभी बढ़ता ,चमचमाता ,
             सुन्दरीमुख ,चन्द्रमुख है कहा जाता 
एक तू ही देव महिलाएं जिसे सब ,
              भाई कह, बच्चों का मामा बोलती है 
एक तू ही देख कर जिसको सुहागन ,
                 बरत करवा चौथ वाला खोलती है 
एक तू ही है जिसे नजदीक पाकर ,
              मारने लगता उछालें ,उदधि का जल 
एक तू ही चांदनी जिसकी हमेशा ,
                सुहानी सुखदायिनी है ,मृदुल शीतल  
प्रेमियों के हृदय की धड़कन बढ़ाता 
                    ,तारिकाओं से घिरा रहता सदा है 
शिवजी के मस्तक पे शोभित चन्द्रमा तू ,
                    सबसे ज्यादा तू ही पूजित देवता है  

 मदन मोहन बाहेती 'घोटू ' 
                                     

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