पत्नी अष्टक
ब्याह समय सही लक्ष लियो और फूल को हार गले मोरे डारो
तबसे बंध्यो ,बंधुवा मजदूर सो ,पत्नी इशारों पे नाचूँ बिचारो
ऐसो वो पहनयो है हार गले ,कभी जीत न पायो ,सदा मैं हारो
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि ,कामिनी , नाज तिहारो -१
हाथ में हाथ मिलाय पुरोहित ,बांध्यो है बंधन ,ऐसो हमारो
कोशिश लाख करी पर कबहुँ भी ,भाग नहीं मैं पायो बिचारो
भाग्य लिखी है जो भाग्यविधाता ने ,मान वो ही सौभग्य हमारो
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -२
मंत्र पढाय कराय पुरोहित ,पावन यज्ञ को फेरा थो डारो
हर फेरन संग ,एक वचन दई ,सात वचन पत्नी संग हारो
फेर में फेरन के ऐसो ,फस्यो फिर ,शादीशुदा भयो ,रहो न कंवारों
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि ,कामिनी नाज तिहारो -३
लछमी सी बन करती छम छम तुम आई प्रसन्न हुयो घर सारो
नैनन से, मृदु बैनन से अरु अधरन से इहि जादू सो डारो
रूप के जाल में ,ऐसो मैं उलझयो कि निकल न पायो ,वासना मारो
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -४
चार दिनन की रही मस्ती फिर ऐसो गृहस्थी को बंधन डारो
कोल्हू को बैल बन्यो दिन भर फिर ,काम में उलझ्यो रहुँ मैं बिचारो
मै दिन रेन ,करूँ विनती प्रभु ,लौटा दो फिर से तुम चैन हमारो
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -५
नाच नचाय ईशारन पर मोहे ,रोज मैं नाच नाच प्रभु हारो
देवी की सेवा करूं इतनी सब ,देवीदास कह ,मोहे पुकारो
स्वर्णाभूषण भेंट करूं जब ,तब ही लगूं ,उनके मन प्यारो
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -६
कौन कला तुम्हे आये रमापति ,कौन सो जादू रमा पर डारो
शेष की शैया पे आप बिराजो ,लक्ष्मीजी पाँव दबाय तुम्हारो
वो ही कला प्रभु मोहे सिखला दो ,मानूंगा मैं उपकार हजारों
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -७
काज कियो बड़ देवन के तुम ,हे हनुमान ,मोहे भी उबारो
शादी के फेरे में आप फंसे नाही ,तबही रह्यो वर्चस्व तुम्हारो
त्रिया त्रसित प्रभु दास तुम्हारो ,पत्नी को अब स्वभाव सुधारो
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तुम्हारो -८
दोहा
स्वर्ण देह ,जादू बसे ,नैनन में भरपूर
कृपा करो पत्नी प्रिया ,रहे न मद में चूर
घोटू
ब्याह समय सही लक्ष लियो और फूल को हार गले मोरे डारो
तबसे बंध्यो ,बंधुवा मजदूर सो ,पत्नी इशारों पे नाचूँ बिचारो
ऐसो वो पहनयो है हार गले ,कभी जीत न पायो ,सदा मैं हारो
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि ,कामिनी , नाज तिहारो -१
हाथ में हाथ मिलाय पुरोहित ,बांध्यो है बंधन ,ऐसो हमारो
कोशिश लाख करी पर कबहुँ भी ,भाग नहीं मैं पायो बिचारो
भाग्य लिखी है जो भाग्यविधाता ने ,मान वो ही सौभग्य हमारो
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -२
मंत्र पढाय कराय पुरोहित ,पावन यज्ञ को फेरा थो डारो
हर फेरन संग ,एक वचन दई ,सात वचन पत्नी संग हारो
फेर में फेरन के ऐसो ,फस्यो फिर ,शादीशुदा भयो ,रहो न कंवारों
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि ,कामिनी नाज तिहारो -३
लछमी सी बन करती छम छम तुम आई प्रसन्न हुयो घर सारो
नैनन से, मृदु बैनन से अरु अधरन से इहि जादू सो डारो
रूप के जाल में ,ऐसो मैं उलझयो कि निकल न पायो ,वासना मारो
को नहीं जानत है जग में प्रिय ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -४
चार दिनन की रही मस्ती फिर ऐसो गृहस्थी को बंधन डारो
कोल्हू को बैल बन्यो दिन भर फिर ,काम में उलझ्यो रहुँ मैं बिचारो
मै दिन रेन ,करूँ विनती प्रभु ,लौटा दो फिर से तुम चैन हमारो
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -५
नाच नचाय ईशारन पर मोहे ,रोज मैं नाच नाच प्रभु हारो
देवी की सेवा करूं इतनी सब ,देवीदास कह ,मोहे पुकारो
स्वर्णाभूषण भेंट करूं जब ,तब ही लगूं ,उनके मन प्यारो
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -६
कौन कला तुम्हे आये रमापति ,कौन सो जादू रमा पर डारो
शेष की शैया पे आप बिराजो ,लक्ष्मीजी पाँव दबाय तुम्हारो
वो ही कला प्रभु मोहे सिखला दो ,मानूंगा मैं उपकार हजारों
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तिहारो -७
काज कियो बड़ देवन के तुम ,हे हनुमान ,मोहे भी उबारो
शादी के फेरे में आप फंसे नाही ,तबही रह्यो वर्चस्व तुम्हारो
त्रिया त्रसित प्रभु दास तुम्हारो ,पत्नी को अब स्वभाव सुधारो
को नहीं जानत है जग में प्रभु ,भामिनि कामिनी नाज तुम्हारो -८
दोहा
स्वर्ण देह ,जादू बसे ,नैनन में भरपूर
कृपा करो पत्नी प्रिया ,रहे न मद में चूर
घोटू
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