ये दिल बड़ा आशिक़ मिज़ाज है
चेहरे पर शराफत है
लोगों में इज्जत है
पर ऐसी फितरत है
ताकझांक की आदत है
दिखती हुस्न की दौलत है
कर बैठता मोहब्बत है
कितना ही समझाओ ,नहीं आता बाज है
ये दिल ,बड़ा आशिक़ मिजाज है
बुढ़ापे का दौर है
नज़रें कमजोर है
मगर हुस्न खोर है
मिलता चितचोर है
होता रसविभोर हो
मांगने लगता मोर है
जाल फेंकने लगता ,बड़ा जालसाज़ है
ये दिल बड़ा आशिक़ मिज़ाज है
हुस्न को देख कर
हो जाता बेसबर
उछलता इधर उधर
जैसे लग जाते पर
मचलता है जिद कर
पाने को जाता अड़
इसकी आशिकी का ,निराला अंदाज है
ये दिल बड़ा आशिक़ मिज़ाज है
मीठी सी बोली है
बातें रस घोली है
सूरत भी भोली है
फैलाता झोली है
अगर प्रीत हो ली है
सच्चा हमजोली है
लूट जाता ,मिट जाता ,मोहब्बत पे नाज़ है
ये दिल ,बड़ा आशिक़ मिजाज है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
चेहरे पर शराफत है
लोगों में इज्जत है
पर ऐसी फितरत है
ताकझांक की आदत है
दिखती हुस्न की दौलत है
कर बैठता मोहब्बत है
कितना ही समझाओ ,नहीं आता बाज है
ये दिल ,बड़ा आशिक़ मिजाज है
बुढ़ापे का दौर है
नज़रें कमजोर है
मगर हुस्न खोर है
मिलता चितचोर है
होता रसविभोर हो
मांगने लगता मोर है
जाल फेंकने लगता ,बड़ा जालसाज़ है
ये दिल बड़ा आशिक़ मिज़ाज है
हुस्न को देख कर
हो जाता बेसबर
उछलता इधर उधर
जैसे लग जाते पर
मचलता है जिद कर
पाने को जाता अड़
इसकी आशिकी का ,निराला अंदाज है
ये दिल बड़ा आशिक़ मिज़ाज है
मीठी सी बोली है
बातें रस घोली है
सूरत भी भोली है
फैलाता झोली है
अगर प्रीत हो ली है
सच्चा हमजोली है
लूट जाता ,मिट जाता ,मोहब्बत पे नाज़ है
ये दिल ,बड़ा आशिक़ मिजाज है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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