त्योंहारों का मज़ा
जब भी सब भाई बहन ,एक साथ मिल जाते ,
सूना घर भरा भरा लगता है
पुष्प सभी एक साथ ,जब सुरभि बिखराते ,
उपवन भी हरा भरा लगता है
घर के हर कोने में ख़ुशी व्याप्त हो जाती ,
चाहे हो होली या चाहे हो दीवाली
दीपक सा ज्योतिर्मय ,हर चेहरा हो जाता ,
संग मिले लगता है ,हरदिन ही त्योहारी
हंसी ख़ुशी ,मेलजोल ,प्यार भरे मधुर बोल ,
अपनापन खरा खरा लगता है
जब भी सब भाई बहन ,एक साथ मिल जाते ,
सूना घर भरा भरा लगता है
स्नेह बिखराते बुजुर्ग ,प्यार लुटाते बच्चे ,
चहलपहल चमकदमक ,खुशियों की बरसाते
संग संग जब आ जाते ,सब चेहरे मुस्काते ,
करते है हंस हंस कर ,जग भर की सब बातें
एक दूसरे के सुख दुःख ,आपस में बंट जाते ,
परिवार साथ खड़ा लगता है
जब भी सब भाई बहन एक साथ मिल जाते
सूना घर भरा भरा लगता है
कुछ दिन रह संग संग ,रंग जाते एक रंग ,
रिश्तों की अहमियत ,जान जाते है बच्चे
एक साथ खानपान ,मधुर मधुर व्यंजन सब ,
लगते है स्वाद भरे और,और भी अच्छे
माला के मोती सब ,एक साथ जुड़ते जब
कंठ हार ,बड़ा बड़ा लगता है
जब भी सब भाई बहन एक साथ मिल जाते ,
सूना घर भरा भरा लगता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू ''
जब भी सब भाई बहन ,एक साथ मिल जाते ,
सूना घर भरा भरा लगता है
पुष्प सभी एक साथ ,जब सुरभि बिखराते ,
उपवन भी हरा भरा लगता है
घर के हर कोने में ख़ुशी व्याप्त हो जाती ,
चाहे हो होली या चाहे हो दीवाली
दीपक सा ज्योतिर्मय ,हर चेहरा हो जाता ,
संग मिले लगता है ,हरदिन ही त्योहारी
हंसी ख़ुशी ,मेलजोल ,प्यार भरे मधुर बोल ,
अपनापन खरा खरा लगता है
जब भी सब भाई बहन ,एक साथ मिल जाते ,
सूना घर भरा भरा लगता है
स्नेह बिखराते बुजुर्ग ,प्यार लुटाते बच्चे ,
चहलपहल चमकदमक ,खुशियों की बरसाते
संग संग जब आ जाते ,सब चेहरे मुस्काते ,
करते है हंस हंस कर ,जग भर की सब बातें
एक दूसरे के सुख दुःख ,आपस में बंट जाते ,
परिवार साथ खड़ा लगता है
जब भी सब भाई बहन एक साथ मिल जाते
सूना घर भरा भरा लगता है
कुछ दिन रह संग संग ,रंग जाते एक रंग ,
रिश्तों की अहमियत ,जान जाते है बच्चे
एक साथ खानपान ,मधुर मधुर व्यंजन सब ,
लगते है स्वाद भरे और,और भी अच्छे
माला के मोती सब ,एक साथ जुड़ते जब
कंठ हार ,बड़ा बड़ा लगता है
जब भी सब भाई बहन एक साथ मिल जाते ,
सूना घर भरा भरा लगता है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू ''
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