Monday, February 10, 2020

बुढ़ापा-अहसास उम्र का 

अबकी कड़कड़ाती ,ठिठुरन  भरी सर्दी के बाद ,
मुझे हुआ अहसास 
कि बुढ़ापा आ गया है पास 
सर्दी में केप और मफलर में ,
रहते थे ढके 
सर के सब बाल सफ़ेद होकर थे  पके 
और जब  सर्दी गयी और टोपी हटी ,
तो मन में आया खेद 
क्योंकि मेरे सर के बाल ,
सारे के सारे हो गये थे  थे सफ़ेद 
 और सर की सफेदी ,याने बुढ़ापे का अहसास 
मुझे कर गया निराश 
और मैंने झटपट अपने बालों पर लगा कर खिजाब 
कर लिया काला 
सच इस  कालिख का भी ,अंदाज है निराला 
आँखों  में जब काजल बन लग जाती है 
आँखों को सजाती है   
कलम से जब कागज़ पर उतरती है 
तो शब्दों में बंध  कर,महाकाव्य रचती है 
श्वेत बालों पर  जब लगाई जाती है 
जवानी का अहसास कराती है 
बच्चो के चेहरे पर काला टीका लगाते है 
 और बुरी नज़र से बचाते है 
मगर ये ही कालिख ,जब मुंह पर पुत  जाती है
बदनाम कर जाती है 
तो हमारे सफ़ेद बालों पर जब लगा खिजाब 
उनमे आ गयी  नयी जान  ,
 और हम  अपने आपको समझने लगे जवान 
पर हम सचमुच में है कितने  नादान  
क्योंकि ,बुढ़ापा या जवानी ,
इसमें कोई अंतर नहीं खास है 
ये तो सिर्फ ,मन का एक अहसास है 
अगर सोच जवान है ,तो आप जवान है 
और सर पर के काले बाल 
ला देतें है आपको जवान होने का ख्याल 
तो अपने सोच में जवानी का रंग आने दो 
और जीवन में उमंग आने दो 

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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