लॉक डाउन उठने के बाद
प्रकृती के संग हमने जो खिलवाड़ करी है
बदले में सहना पड़ रही मार दुहरी है
भोग रहे हम अपनी करनी ,कर्मो का फल
तरह तरह के रोग ,बिमारी आते पल पल
चक्रावत तूफ़ान कभी भूकम्प , सुनामी
तरह तरह की विपदायें है आनी जानी
प्रदूषणों में हमने जीना सीख लिया है
दूषित और गंदा जल पीना सीख लिया है
चिकनगुनिया की विभीषिका हमने झेली
एच वन एन वन फ्लू बिमारी अब भी फैली
कैंसर ,हृदयरोग ,ब्लूडप्रेशर पड़े पुराने
अब आ गयी कोरोना व्याधि हमें सताने
इससे बचने ,इतने दिन तक करी कवायत
इसे भगाने को डाली कुछ अच्छी आदत
धोना हाथ ,सफाई रखना ,मुंह पर पट्टी
घर का खाना ,होटल के खाने से कुट्टी
भीड़भाड़ से रखी बना कर हमने दूरी
चाहे इसे विवशता बोलो या मजबूरी
अब भी सामजिक दूरी की आवश्यकता
कोरोना से दूर रखेगी हमें सजगता
अगर सोचते जब लॉक डाउन उठ जाएगा
सब कुछ नॉर्मल पहले जैसा हो जाएगा
तो मित्रों यह सबसे बड़ी गलत फहमी है
बहुत दिनों तक यह विपदा हमको सहनी है
इसीलिये यदि पहले जैसा जीना जीवन
कोरोना से लड़े ,सावधानी रख हर क्षण
कुछ दिन भुगतो ,फिर एक दिन ऐसा आएगा
इसका भी हमको निदान मिल ही जाएगा
ज्यादा भय और चिंता मत निज मन में पालो
कोरोना के संग जीने की आदत डालो
इस बंदी के बीच बंद था सब उत्पादन
दुकाने और गमन आगमन के सब साधन
रिश्ता चालक ,रोज दिहाड़ी करने वाले
परेशान हो गए ,पड़े खाने के लाले
घबरा कर सबने गाँवों को किया पलायन
अस्त व्यस्त हो गया कई लोगों का जीवन
आने वाला वक़्त कठिन है ,मुश्किलों भरा
आज देश की अर्थव्यवस्था गयी चरमरा
वक़्त लगेगा ,वापस पटरी पर लाने में
महीनो गुजर जाएंगे हमे सम्भल पाने में
अर्थव्यवस्था को सुधारना ,आगे बढ़ना
महामारी से कोरोना की भी है लड़ना
मित्रों कस लो कमर ,और तैयार रहो तुम
भारत माता से बस करते प्यार रहो तुम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
प्रकृती के संग हमने जो खिलवाड़ करी है
बदले में सहना पड़ रही मार दुहरी है
भोग रहे हम अपनी करनी ,कर्मो का फल
तरह तरह के रोग ,बिमारी आते पल पल
चक्रावत तूफ़ान कभी भूकम्प , सुनामी
तरह तरह की विपदायें है आनी जानी
प्रदूषणों में हमने जीना सीख लिया है
दूषित और गंदा जल पीना सीख लिया है
चिकनगुनिया की विभीषिका हमने झेली
एच वन एन वन फ्लू बिमारी अब भी फैली
कैंसर ,हृदयरोग ,ब्लूडप्रेशर पड़े पुराने
अब आ गयी कोरोना व्याधि हमें सताने
इससे बचने ,इतने दिन तक करी कवायत
इसे भगाने को डाली कुछ अच्छी आदत
धोना हाथ ,सफाई रखना ,मुंह पर पट्टी
घर का खाना ,होटल के खाने से कुट्टी
भीड़भाड़ से रखी बना कर हमने दूरी
चाहे इसे विवशता बोलो या मजबूरी
अब भी सामजिक दूरी की आवश्यकता
कोरोना से दूर रखेगी हमें सजगता
अगर सोचते जब लॉक डाउन उठ जाएगा
सब कुछ नॉर्मल पहले जैसा हो जाएगा
तो मित्रों यह सबसे बड़ी गलत फहमी है
बहुत दिनों तक यह विपदा हमको सहनी है
इसीलिये यदि पहले जैसा जीना जीवन
कोरोना से लड़े ,सावधानी रख हर क्षण
कुछ दिन भुगतो ,फिर एक दिन ऐसा आएगा
इसका भी हमको निदान मिल ही जाएगा
ज्यादा भय और चिंता मत निज मन में पालो
कोरोना के संग जीने की आदत डालो
इस बंदी के बीच बंद था सब उत्पादन
दुकाने और गमन आगमन के सब साधन
रिश्ता चालक ,रोज दिहाड़ी करने वाले
परेशान हो गए ,पड़े खाने के लाले
घबरा कर सबने गाँवों को किया पलायन
अस्त व्यस्त हो गया कई लोगों का जीवन
आने वाला वक़्त कठिन है ,मुश्किलों भरा
आज देश की अर्थव्यवस्था गयी चरमरा
वक़्त लगेगा ,वापस पटरी पर लाने में
महीनो गुजर जाएंगे हमे सम्भल पाने में
अर्थव्यवस्था को सुधारना ,आगे बढ़ना
महामारी से कोरोना की भी है लड़ना
मित्रों कस लो कमर ,और तैयार रहो तुम
भारत माता से बस करते प्यार रहो तुम
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
No comments:
Post a Comment