कोरोना दर क्या क्या भूले
बहुत त्रसित और दुखी हो गए ,जीवन पद्धति बदल गयी ,
देखो क्या क्या हम तुम और सबकोरोना डर भूल गए
लॉक डाउन ने ऐसा हमको ,घर के अंदर बंद किया ,
टी वी से चिपके रहते हम ,जाना बाहर भूल गए
पहले गर्मी की छुट्टी में , बच्चे नानी घर जाते थे
कोरोना के कारण बंध कर ,नानी का घर भूल गए
साईकिल दौड़ाते बच्चे ,खेल कूद मैदानों में ,
ना क्रिकेट की बेटिंग ,बॉलिंग ,रन स्कोर भूल गए
न तो चाट के ठेले लगते ,ना वो आलू की टिक्की ,
स्वाद गोलगप्पों का प्यारा ,पानी भर भर ,भूल गए
हलवाई की दुकानों से ,आये न खुशबू जलेबी की ,
वो गुलाब जामुन ,रसगुल्ले ,रबड़ी घेवर भूल गए
ना तो बाज़ारों में रौनक ,मॉल सभी सुनसान पड़े ,
पॉपकॉर्न पिक्चर हालों में ,खाना जी भर ,भूल गए
अब ना भीड़ भरे वो उत्सव ,शादी ब्याह बारातों में ,
छत्तीसों व्यंजन का खाना ,प्लेटें भर भर भूल गए
बच्चे मम्मी पापा सब मिल ,घर भर का सब काम करें ,
बात बात पर रौब दिखाना तीखे तेवर भूल गए
लौट आये संस्कार ,नमस्ते, हाथ जोड़ अब करते है ,
दूरी रखते ,प्यार जताना ,अब झप्पी भर ,भूल गए
खुद को बहुत सूरमा समझे बैठे मार मार मच्छर ,
आया कोरोना ,हम डर कर ,लेना टक्कर भूल गए
ये सच है ,पॉल्यूशन कम है ,जल नदियों का शुद्ध हुआ ,
मुश्किल था जब लेना साँसें ,अब वो मंजर भूल गए
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
बहुत त्रसित और दुखी हो गए ,जीवन पद्धति बदल गयी ,
देखो क्या क्या हम तुम और सबकोरोना डर भूल गए
लॉक डाउन ने ऐसा हमको ,घर के अंदर बंद किया ,
टी वी से चिपके रहते हम ,जाना बाहर भूल गए
पहले गर्मी की छुट्टी में , बच्चे नानी घर जाते थे
कोरोना के कारण बंध कर ,नानी का घर भूल गए
साईकिल दौड़ाते बच्चे ,खेल कूद मैदानों में ,
ना क्रिकेट की बेटिंग ,बॉलिंग ,रन स्कोर भूल गए
न तो चाट के ठेले लगते ,ना वो आलू की टिक्की ,
स्वाद गोलगप्पों का प्यारा ,पानी भर भर ,भूल गए
हलवाई की दुकानों से ,आये न खुशबू जलेबी की ,
वो गुलाब जामुन ,रसगुल्ले ,रबड़ी घेवर भूल गए
ना तो बाज़ारों में रौनक ,मॉल सभी सुनसान पड़े ,
पॉपकॉर्न पिक्चर हालों में ,खाना जी भर ,भूल गए
अब ना भीड़ भरे वो उत्सव ,शादी ब्याह बारातों में ,
छत्तीसों व्यंजन का खाना ,प्लेटें भर भर भूल गए
बच्चे मम्मी पापा सब मिल ,घर भर का सब काम करें ,
बात बात पर रौब दिखाना तीखे तेवर भूल गए
लौट आये संस्कार ,नमस्ते, हाथ जोड़ अब करते है ,
दूरी रखते ,प्यार जताना ,अब झप्पी भर ,भूल गए
खुद को बहुत सूरमा समझे बैठे मार मार मच्छर ,
आया कोरोना ,हम डर कर ,लेना टक्कर भूल गए
ये सच है ,पॉल्यूशन कम है ,जल नदियों का शुद्ध हुआ ,
मुश्किल था जब लेना साँसें ,अब वो मंजर भूल गए
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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