अब तो दया करो भगवान
हे भगवान !
कृपानिधान !
क्यों हमारे जज्बातों से खेल रहे है
हम कितनी मुसीबतें झेल रहे है
पूरी दुनिया में कोरोना के वाइरस की मार है
हर तरफ हाहाकार है
पिछले ढाई महीनो से देश में तालाबंदी है
घर से निकलने की पाबंदी है
दूकान ,बाजार कारखाने सब बंद पड़े है
प्रवासी मजदूर वापस घर जाने को अड़े है
क्योंकि यहाँ पड़ रहे है रोजी रोटी के लाले
पर रेल और बसों पर भी पड़े है ताले
तो वो होकर के परेशान और बेकल
निकल पड़े है घर की ओर पैदल
अफरा तफरी का माहौल हो रहा है
अर्थव्यवस्था का बिस्तर गोल हो रहा है
स्तिथि संभाले नहीं सम्भल पा रही है
हर तरफ त्राहि त्राहि छा रही है
और आप अपने सब मंदिर बंद करवा ,
आराम फरमा रहे है
काहे हमें इतना सता रहे है
सितम पर सितम ढा रहे है
पिछले तीन महीनो में देहली को ,
पांच पांच बार भूकंप से कँपाया
पूर्वी तटों पर विनाशकारी तूफ़ान आया
वहां के निवासियों पर अभी भी संकट है
पश्चिम तट पर भी तूफ़ान आने की आहट है
कहीं भीषण गर्मी है ,कहीं बाढ़ आरही है
करोड़ों की संख्या में टिड्डियाँ आकर ,
हमारी फसलें खा रही है
एक तरफ पकिस्तान की,
आतंकी गतिविधियां कायम है
दूसरी तरफ चाइना दिखा रहा अपना दम है
और तो और वो पिद्दी सा,
नेपाल भी फुफकारने लगा है
आदमी महसूस कर रहा ठगा है
और प्रभु आप तो खुद ही देख रहे है
ऐसे माहौल में भी कुछ विरोधी दल ,
अपनी चुनावी रोटियां सेक रहे है
और आप हम पर नित्य नयी विपत्ति देकर ,
लोहे के चने चबवा रहे है
और खुद क्षीरसागर में लेटे ,
लक्ष्मीजी से पैर दबवा रहे है
हम से हो गयी है कौनसी गलती
जो लेकर आरहे हो इतनी त्रासदी
इतनी सारी मुसीबतें ,वो भी एक साथ
बस बहुत हो गया दीनानाथ
हम आपकी संतान है
अभी नादान है
पर आप तो भगवान है
सर्वशक्तिमान है
हे दयामय हम पर दया करो
हमारी विपदायें हरो
अपने इन बच्चों पर,
थोड़ी कृपादृष्टि दिखला दो
कोरोना के संहार का उपाय बतला दो
हमारी डगमगाती जिंदगी को,
फिर से पटरी पर ला दो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
हे भगवान !
कृपानिधान !
क्यों हमारे जज्बातों से खेल रहे है
हम कितनी मुसीबतें झेल रहे है
पूरी दुनिया में कोरोना के वाइरस की मार है
हर तरफ हाहाकार है
पिछले ढाई महीनो से देश में तालाबंदी है
घर से निकलने की पाबंदी है
दूकान ,बाजार कारखाने सब बंद पड़े है
प्रवासी मजदूर वापस घर जाने को अड़े है
क्योंकि यहाँ पड़ रहे है रोजी रोटी के लाले
पर रेल और बसों पर भी पड़े है ताले
तो वो होकर के परेशान और बेकल
निकल पड़े है घर की ओर पैदल
अफरा तफरी का माहौल हो रहा है
अर्थव्यवस्था का बिस्तर गोल हो रहा है
स्तिथि संभाले नहीं सम्भल पा रही है
हर तरफ त्राहि त्राहि छा रही है
और आप अपने सब मंदिर बंद करवा ,
आराम फरमा रहे है
काहे हमें इतना सता रहे है
सितम पर सितम ढा रहे है
पिछले तीन महीनो में देहली को ,
पांच पांच बार भूकंप से कँपाया
पूर्वी तटों पर विनाशकारी तूफ़ान आया
वहां के निवासियों पर अभी भी संकट है
पश्चिम तट पर भी तूफ़ान आने की आहट है
कहीं भीषण गर्मी है ,कहीं बाढ़ आरही है
करोड़ों की संख्या में टिड्डियाँ आकर ,
हमारी फसलें खा रही है
एक तरफ पकिस्तान की,
आतंकी गतिविधियां कायम है
दूसरी तरफ चाइना दिखा रहा अपना दम है
और तो और वो पिद्दी सा,
नेपाल भी फुफकारने लगा है
आदमी महसूस कर रहा ठगा है
और प्रभु आप तो खुद ही देख रहे है
ऐसे माहौल में भी कुछ विरोधी दल ,
अपनी चुनावी रोटियां सेक रहे है
और आप हम पर नित्य नयी विपत्ति देकर ,
लोहे के चने चबवा रहे है
और खुद क्षीरसागर में लेटे ,
लक्ष्मीजी से पैर दबवा रहे है
हम से हो गयी है कौनसी गलती
जो लेकर आरहे हो इतनी त्रासदी
इतनी सारी मुसीबतें ,वो भी एक साथ
बस बहुत हो गया दीनानाथ
हम आपकी संतान है
अभी नादान है
पर आप तो भगवान है
सर्वशक्तिमान है
हे दयामय हम पर दया करो
हमारी विपदायें हरो
अपने इन बच्चों पर,
थोड़ी कृपादृष्टि दिखला दो
कोरोना के संहार का उपाय बतला दो
हमारी डगमगाती जिंदगी को,
फिर से पटरी पर ला दो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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