बदले बदले पिया
नाटक किये मैं ,पड़ी नींद में थी ,
जगायेंगे मुझको ,इस उम्मीद में थी
मगर उनने छेड़ा न मुझको जगाया
न आवाज ही दी न मुझको उठाया
गये लेट चुपके ,दिखाकर नाराजी
बदल से गये है ,हमारे पियाजी
गया वो जमाना ,जब हम रूठ जाते
वो करते थे मन्नत ,हमें थे मनाते
करते थे ना ना ,उन्हें हम सताते
बड़ी मौज मस्ती से कटती थी रातें
मगर अब न चलता वो नाटक पुराना
गया रूठना और गया वो मनाना
ऐसी गयी है पलट सारी बाजी
बदल से गए है हमारे पियाजी
भले ही हमारा बदन ढल गया है
पहले सा जलवा ,नहीं अब रहा है
तो वो भी तो अब ना उतने जवां है
मगर ना रहे अब ,वो मेहरबां है
रहते हमेशा ,थके सुस्त से वो
है तंदरुस्त लेकिन नहीं चुस्त से वो
भले उन पे मरता ,हमारा जिया जी
बदल अब गए है ,हमारे पियाजी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
नाटक किये मैं ,पड़ी नींद में थी ,
जगायेंगे मुझको ,इस उम्मीद में थी
मगर उनने छेड़ा न मुझको जगाया
न आवाज ही दी न मुझको उठाया
गये लेट चुपके ,दिखाकर नाराजी
बदल से गये है ,हमारे पियाजी
गया वो जमाना ,जब हम रूठ जाते
वो करते थे मन्नत ,हमें थे मनाते
करते थे ना ना ,उन्हें हम सताते
बड़ी मौज मस्ती से कटती थी रातें
मगर अब न चलता वो नाटक पुराना
गया रूठना और गया वो मनाना
ऐसी गयी है पलट सारी बाजी
बदल से गए है हमारे पियाजी
भले ही हमारा बदन ढल गया है
पहले सा जलवा ,नहीं अब रहा है
तो वो भी तो अब ना उतने जवां है
मगर ना रहे अब ,वो मेहरबां है
रहते हमेशा ,थके सुस्त से वो
है तंदरुस्त लेकिन नहीं चुस्त से वो
भले उन पे मरता ,हमारा जिया जी
बदल अब गए है ,हमारे पियाजी
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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