Monday, July 20, 2020

बड़े आदमी
(तर्ज -कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे -)

अगर ठीक से भूख लगती नहीं
लूखी सी रोटी भी पचती नहीं
समोसे पकोड़े अगर तुमने छोड़े
तली चीज से हो गयी दुश्मनी हो
तो लगता है ऐसा कमा कर के पैसा
 अब बन गए तुम बड़े आदमी हो
 
अभी मोह माया में उलझे हो तुम
,मिलती जरा सी भी फुर्सत नहीं
किसीके लिए भी नहीं वक़्त है ,
कोई रिश्तेदारों की जरूरत नहीं

अगर चाय काली जो पीने लगो
नमक के बिना भी जो जीने लगो
कोई कुछ परोसे तो मुंह को मसोसे
खाने से करते तुम आनाकनी  हो
तो लगता है ऐसा कमा कर के पैसा
अब बन गए तुम बड़े आदमी हो

पागल से रहते जुटे काम में ,
ऐसी कमाई की आदत हुई
हाथों से मोबाईल छूटे  नहीं,
हंसी चेहरे से नदारद हुई

अगर ठीक से भी नहीं सो सको
जरा सी भी मेहनत करो और थको
 
लिए बोझ दिल पर चलो ट्रेडमिल पर ,
दवाओं के संग दोस्ती जो जमी हो
तो लगता है ऐसा कमा कर के पैसा
अब बन गए तुम बड़े आदमी हो  

मदन मोहन बाहेती 'घोटू '

No comments:

Post a Comment