---------- Forwarded message ---------
From: madan mohan Baheti <baheti.mm@gmail.com>
Date: Thu, Jul 23, 2020 at 7:33 AM
Subject:
To: <bahetitarabaheti@gmail.com>
From: madan mohan Baheti <baheti.mm@gmail.com>
Date: Thu, Jul 23, 2020 at 7:33 AM
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To: <bahetitarabaheti@gmail.com>
किस्सा एक कविता का जो
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एक मधुर पेरोडी में बदल गयी
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मैंने एक व्यंग कविता लिखी 'बड़े आदमी '
ये कविता जब मैंने अपने मित्र प्रसिद्ध
गायक श्री अनिल जाजू को सुनाई तो
उन्होंने कहा कि यह एक प्रसिद्ध फिल्म
'पूरब और पश्चिम ' 'के लोकप्रिय गीत की पेरोडी
बन सकता है ,तो फिर उनके साथ बैठ कर
काट छांट और जोड़तोड़ कर उसे एक मधुर
गीत का रूप दिया गया जो श्री अनिल जाजू के
मधुर स्वरों में रिकॉर्ड हुआ ,आपके मनोरंजन
के लिए कविता अपने मूल रूप में प्रस्तुत है
और वह मधुर गीत भी प्रस्तुत है कृपया अपनी
प्रतिक्रिया अवश्य दें धन्यवाद
कविता -बड़े आदमी
बड़ा आदमी
अगर ठीक से भूख लगती नहीं
लूखी सी रोटी भी पचती नहीं
समोसे,पकोडे ,अगर तुमने छोड़े ,
तली चीज से हो गयी दुश्मनी हो
न दावत कोई ना मिठाई कोई
जलेबी भी तुमने न खाई कोई
कोई कुछ परोसे, तो मन को मसोसे ,
खाने में करते तुम आनाकनी हो
तो लगता है ऐसा कमा कर के पैसा ,
अब बन गए तुम बड़े आदमी हो
अगर चाय काली ,सुहाने लगे
नमक भी अगर कम हो खाने लगे
जो चाहता दिल ,त्यों जीने के खातिर ,
अगर वक़्त की आपको जो कमी हो
नहीं ठीक से तुम अगर सो सको
जरासी भी मेहनत करो तो थको
लिए बोझ दिल पर ,चलो ट्रेडमिल पर
दवाओं के संग दोस्ती जो जमी हो
तो लगता है ऐसा ,कमा कर के पैसा ,
अब बन गए तुम ,बड़े आदमी हो
रहो काम में जो फंसे इस कदर
घरवालों खातिर समय ना अगर ,
जाते हो हंसने,जो लाफिंग क्लब में
मुस्कान संग हो गयी अनबनी हो
मोबाईल हाथों से छूटे नहीं
मज़ा जिंदगी का जो लुटे नहीं
सपने तुम्हारे ,हुए पूर्ण सारे ,
मगरऔर की भूख अब भी बनी हो
तो लगता है ऐसा ,कमा कर के पैसा ,
अब बन गए तुम बड़े आदमी हो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
अब सुनिये इस कविता से जन्मा वह
मधुर गीत श्री अनिल जाजू के स्वरों में
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एक मधुर पेरोडी में बदल गयी
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मैंने एक व्यंग कविता लिखी 'बड़े आदमी '
ये कविता जब मैंने अपने मित्र प्रसिद्ध
गायक श्री अनिल जाजू को सुनाई तो
उन्होंने कहा कि यह एक प्रसिद्ध फिल्म
'पूरब और पश्चिम ' 'के लोकप्रिय गीत की पेरोडी
बन सकता है ,तो फिर उनके साथ बैठ कर
काट छांट और जोड़तोड़ कर उसे एक मधुर
गीत का रूप दिया गया जो श्री अनिल जाजू के
मधुर स्वरों में रिकॉर्ड हुआ ,आपके मनोरंजन
के लिए कविता अपने मूल रूप में प्रस्तुत है
और वह मधुर गीत भी प्रस्तुत है कृपया अपनी
प्रतिक्रिया अवश्य दें धन्यवाद
कविता -बड़े आदमी
बड़ा आदमी
अगर ठीक से भूख लगती नहीं
लूखी सी रोटी भी पचती नहीं
समोसे,पकोडे ,अगर तुमने छोड़े ,
तली चीज से हो गयी दुश्मनी हो
न दावत कोई ना मिठाई कोई
जलेबी भी तुमने न खाई कोई
कोई कुछ परोसे, तो मन को मसोसे ,
खाने में करते तुम आनाकनी हो
तो लगता है ऐसा कमा कर के पैसा ,
अब बन गए तुम बड़े आदमी हो
अगर चाय काली ,सुहाने लगे
नमक भी अगर कम हो खाने लगे
जो चाहता दिल ,त्यों जीने के खातिर ,
अगर वक़्त की आपको जो कमी हो
नहीं ठीक से तुम अगर सो सको
जरासी भी मेहनत करो तो थको
लिए बोझ दिल पर ,चलो ट्रेडमिल पर
दवाओं के संग दोस्ती जो जमी हो
तो लगता है ऐसा ,कमा कर के पैसा ,
अब बन गए तुम ,बड़े आदमी हो
रहो काम में जो फंसे इस कदर
घरवालों खातिर समय ना अगर ,
जाते हो हंसने,जो लाफिंग क्लब में
मुस्कान संग हो गयी अनबनी हो
मोबाईल हाथों से छूटे नहीं
मज़ा जिंदगी का जो लुटे नहीं
सपने तुम्हारे ,हुए पूर्ण सारे ,
मगरऔर की भूख अब भी बनी हो
तो लगता है ऐसा ,कमा कर के पैसा ,
अब बन गए तुम बड़े आदमी हो
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
अब सुनिये इस कविता से जन्मा वह
मधुर गीत श्री अनिल जाजू के स्वरों में
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