निमंत्रण और नियंत्रण की फाइटिंग -डाइटिंग
जब दो प्रेमी होते है दूर दूर
मिल न पाने को मजबूर
तब उन्हें काटता है विछोह का कीड़ा
और होने लगती है विरह की पीड़ा
पर इससे भी ज्यादा कठिन
होता है विरह का वो सीन
जब आपकी प्रेमिका हो आपके सामने
आप लगते है दिल थामने
क्योंकि आप उसे देखने को तो स्वच्छंद है
पर छूने या मिलने पर प्रतिबंध है
जी हाँ ,आजकल मैं भी ऐसे ही दौर से गुजर रहा हूँ
क्योंकि वजन घटाने के लिए डाइटिंग कर रहा हूँ
रस भरी कढ़ाई में करते हुए किलोल
गुलाबी ,सुन्दर और गोल गोल
गुलाबजामुन देख कर लार तो टपकाता हूँ
पर उन्हें छू नहीं पाता हूँ
स्वर्णिम आभा लिये रसीली
दुबली पतली और छरहरी
अलबेली स्वाद की देवी
मेरी परमप्रिया जलेबी
गरम गरम तन की ऊष्मा लिए
पूरे सोलह श्रृंगार किये
जब देती है प्यार का आमंत्रण
तो मुझे रखना पड़ता है खुद पर नियंत्रण
क्योंकि वो मेरी सच्ची चाह है
पर आजकल उसे छूना गुनाह है
अब आप ही बताओ ,मुझ पर क्या गुजरती होगी
जब प्यास तो जगती होगी पर भूख मरती होगी
मुझे ललचाते तो है गरम गरम समोसे
पर मैं ठंडी आह भरता हूँ ,मन मसोसे
तरह तरह के पकवानो की खुशबू और रंग
करते रहते है मुझे बहुत तंग
एक तरफ मेरा स्वनियंत्रित कायाकल्प
करके सुडोल होने का संकल्प
और दूसरी तरफ चटोरी जिव्हा का स्वाद
करने लगते है आपस में विवाद
जो बार बार ,एक दूसरे पर हावी नजर आता है
और मुझे तरसा तरसा कर तड़फाता है
बिचारा नीचे वाला होठ ,ऊपर वाले होठ को चूम कर
संतोष करता है झूम कर
क्योंकि आजकल तो चुंबन के लाले पड़े है
और हम भारी दिल से ,हल्का होने के लिए ,
डाइटिंग की जिद पर अड़े है
कारण श्रीमती जी को लगता है ,हमारा वजन भारी है
और बस ये ही डाइटन्ग की वजह सारी है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
जब दो प्रेमी होते है दूर दूर
मिल न पाने को मजबूर
तब उन्हें काटता है विछोह का कीड़ा
और होने लगती है विरह की पीड़ा
पर इससे भी ज्यादा कठिन
होता है विरह का वो सीन
जब आपकी प्रेमिका हो आपके सामने
आप लगते है दिल थामने
क्योंकि आप उसे देखने को तो स्वच्छंद है
पर छूने या मिलने पर प्रतिबंध है
जी हाँ ,आजकल मैं भी ऐसे ही दौर से गुजर रहा हूँ
क्योंकि वजन घटाने के लिए डाइटिंग कर रहा हूँ
रस भरी कढ़ाई में करते हुए किलोल
गुलाबी ,सुन्दर और गोल गोल
गुलाबजामुन देख कर लार तो टपकाता हूँ
पर उन्हें छू नहीं पाता हूँ
स्वर्णिम आभा लिये रसीली
दुबली पतली और छरहरी
अलबेली स्वाद की देवी
मेरी परमप्रिया जलेबी
गरम गरम तन की ऊष्मा लिए
पूरे सोलह श्रृंगार किये
जब देती है प्यार का आमंत्रण
तो मुझे रखना पड़ता है खुद पर नियंत्रण
क्योंकि वो मेरी सच्ची चाह है
पर आजकल उसे छूना गुनाह है
अब आप ही बताओ ,मुझ पर क्या गुजरती होगी
जब प्यास तो जगती होगी पर भूख मरती होगी
मुझे ललचाते तो है गरम गरम समोसे
पर मैं ठंडी आह भरता हूँ ,मन मसोसे
तरह तरह के पकवानो की खुशबू और रंग
करते रहते है मुझे बहुत तंग
एक तरफ मेरा स्वनियंत्रित कायाकल्प
करके सुडोल होने का संकल्प
और दूसरी तरफ चटोरी जिव्हा का स्वाद
करने लगते है आपस में विवाद
जो बार बार ,एक दूसरे पर हावी नजर आता है
और मुझे तरसा तरसा कर तड़फाता है
बिचारा नीचे वाला होठ ,ऊपर वाले होठ को चूम कर
संतोष करता है झूम कर
क्योंकि आजकल तो चुंबन के लाले पड़े है
और हम भारी दिल से ,हल्का होने के लिए ,
डाइटिंग की जिद पर अड़े है
कारण श्रीमती जी को लगता है ,हमारा वजन भारी है
और बस ये ही डाइटन्ग की वजह सारी है
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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