रजनीचर्या
दिनभर काम में रह कर व्यस्त
थका हुआ मैं ,थकी हुई तुम ,
दोनों पस्त
अक्सर
जब हम लेटते है बिस्तर पर
तेरी बांह मुझको लपेट लेती है
अपने पास समेट लेती है
मैं तेरे सीने पर
सर रख कर
सो जाता हूँ
बड़ा सुकून पाता हूँ
जब तुम मेरे सर को थपथपाती हो
बालों में उँगलियाँ डाल ,सहलाती हो
मेरे दिल की धड़कन
हर क्षण
सुनाई देती है मधुर संगीत बन
और तुम्हारी साँसों के स्वर
मेरी साँसों से टकरा कर
देते है इतना नशा भर
कि मैं सो जाता हूँ ,
तेरी उँगलियों में ,अपनी उँगलियाँ फंसा कर
रोज रोज चलता है यही क्रम
तुम और हम
प्यार का बंधन
यही है जीवन
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
दिनभर काम में रह कर व्यस्त
थका हुआ मैं ,थकी हुई तुम ,
दोनों पस्त
अक्सर
जब हम लेटते है बिस्तर पर
तेरी बांह मुझको लपेट लेती है
अपने पास समेट लेती है
मैं तेरे सीने पर
सर रख कर
सो जाता हूँ
बड़ा सुकून पाता हूँ
जब तुम मेरे सर को थपथपाती हो
बालों में उँगलियाँ डाल ,सहलाती हो
मेरे दिल की धड़कन
हर क्षण
सुनाई देती है मधुर संगीत बन
और तुम्हारी साँसों के स्वर
मेरी साँसों से टकरा कर
देते है इतना नशा भर
कि मैं सो जाता हूँ ,
तेरी उँगलियों में ,अपनी उँगलियाँ फंसा कर
रोज रोज चलता है यही क्रम
तुम और हम
प्यार का बंधन
यही है जीवन
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
No comments:
Post a Comment