दो दो लाइना -खाते पीते
१
तू है मेरी गरम जलेबी ,मैं रबड़ी का लच्छा
दोनों संग मिल स्वाद बढ़ाते ,प्यार हमारा सच्चा
२
फूला हुआ गोलगप्पा मैं ,स्वाद भरा तू पानी
तू दिल में आ ,स्वाद चटपटा ,भर देती तूफानी
३
मैं हूँ पाव और तू भाजी ,सबके मन को भाती
कभी बड़ा बन ,बड़ा पाव हम ,बन जाते है साथी
४
तू इडली सी नरम मुलायम मैं मद्रासी डोसा
तू है फूली हुई कचौड़ी ,मैं हूँ गरम समोसा
५
मैं हूँ गरम भटूरे जैसा ,तू छोले सी शोला
तेरी मदमाती खुशबू से ,मन मेरा भी डोला
६
मैं आलू की टिक्की सा तू चाट पापड़ी प्यारी
दही बड़े सी स्वाद चटपटी ,सब पर पड़ती भारी
७
प्रियतम तू है दाल माखनी ,मैं भड़ता बैंगन का
मिस्सी रोटी सा प्यारा ,जलवा तेरे यौवन का
८
मैं राजस्थानी बाटी तू ,नरम चूरमे जैसी
बेसनगट्टे की सब्जी हो ,स्वाद लगे तू वैसी
९
मैं काले गुलाबजामुन सा ,रसमलाई तू प्यारी
स्लिम काजू की कतली ,तूने ,मेरी नियत बिगाड़ी
१०
मैं मलाई घेवर सा ,तेरा है फीनी सा जलवा
कलाकार मैं कलाकंद सा ,तू गाजर का हलवा
११
मैं मथुरा के पेड़े जैसा ,तू अंगूरी पेठा
खुर्जा की खुर्चन जैसा मैं तेरे दिल में बैठा
१२
सुबह नाश्ते में पोहे सी ,तू है सीधी सादी
बारिश में तू गरम पकोड़ी ,बन जाती उन्मादी
१३
मैं हूँ चम्मच च्यवनप्राश का तू टॉनिक की गोली
तू मेरी ,मैं तेरी ताकत ,तू मेरी हमजोली
१४
मैं उबले चावल जैसा तू चटकीली बिरयानी
मैं हूँ भोजनभट्ट दिवाना ,तू रसोई की रानी
मदन मोहन बाहेती'घोटू '
१
तू है मेरी गरम जलेबी ,मैं रबड़ी का लच्छा
दोनों संग मिल स्वाद बढ़ाते ,प्यार हमारा सच्चा
२
फूला हुआ गोलगप्पा मैं ,स्वाद भरा तू पानी
तू दिल में आ ,स्वाद चटपटा ,भर देती तूफानी
३
मैं हूँ पाव और तू भाजी ,सबके मन को भाती
कभी बड़ा बन ,बड़ा पाव हम ,बन जाते है साथी
४
तू इडली सी नरम मुलायम मैं मद्रासी डोसा
तू है फूली हुई कचौड़ी ,मैं हूँ गरम समोसा
५
मैं हूँ गरम भटूरे जैसा ,तू छोले सी शोला
तेरी मदमाती खुशबू से ,मन मेरा भी डोला
६
मैं आलू की टिक्की सा तू चाट पापड़ी प्यारी
दही बड़े सी स्वाद चटपटी ,सब पर पड़ती भारी
७
प्रियतम तू है दाल माखनी ,मैं भड़ता बैंगन का
मिस्सी रोटी सा प्यारा ,जलवा तेरे यौवन का
८
मैं राजस्थानी बाटी तू ,नरम चूरमे जैसी
बेसनगट्टे की सब्जी हो ,स्वाद लगे तू वैसी
९
मैं काले गुलाबजामुन सा ,रसमलाई तू प्यारी
स्लिम काजू की कतली ,तूने ,मेरी नियत बिगाड़ी
१०
मैं मलाई घेवर सा ,तेरा है फीनी सा जलवा
कलाकार मैं कलाकंद सा ,तू गाजर का हलवा
११
मैं मथुरा के पेड़े जैसा ,तू अंगूरी पेठा
खुर्जा की खुर्चन जैसा मैं तेरे दिल में बैठा
१२
सुबह नाश्ते में पोहे सी ,तू है सीधी सादी
बारिश में तू गरम पकोड़ी ,बन जाती उन्मादी
१३
मैं हूँ चम्मच च्यवनप्राश का तू टॉनिक की गोली
तू मेरी ,मैं तेरी ताकत ,तू मेरी हमजोली
१४
मैं उबले चावल जैसा तू चटकीली बिरयानी
मैं हूँ भोजनभट्ट दिवाना ,तू रसोई की रानी
मदन मोहन बाहेती'घोटू '
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