चलो एक बार फिर से
हमारी और तुम्हारी अब ,निभे ना संग रह रह कर
परेशां हो गए हम रोज के झगड़ों को सह सह कर
बन गयी जिंदगी जिल्लत है ,इससे होगा ये बेहतर
अहम की तुष्टि करने ,यूं नहीं टकराये हम दोनों
चलो एक बार फिरसे अजनबी बन जाए हम दोनों
भुलादें ये कभी बेइंतहां हम प्यार करते थे
दीवाने और पागल थे,एक दूजे पे मरते थे
सात जन्मो के साथी हम ,हमेशा दम ये भरते थे
पुराने कसमें और वादे ,सभी बिसरायें हम दोनों
चलो एक बार फिर से अजनबी ,बन जाएँ हम दोनों
जमाना था ,हमारी और तुम्हारी ,एक थी चाहें
नहीं रखता था कोई भी ,किसी से कुछ अपेक्षाएं
मगर लगने लगा ऐसा ,जुदा अपनी है अब राहें
उलझ रिश्ते गए उनको , मिलें , सुलझायें हम दोनों
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
चलोअनजान बन कर फिर लड़ाये ,प्यार से नज़रें
सिलसिला प्यार का चालू ,नया करदें हो बेसबरे
दिवाना बन उठाऊं मैं ,तुम्हारे नाज़ और नखरे
पुराने प्यार में फिर ताज़गी भर लाएं हम दोनों
चलो एक बार फिरसे अजनबी बन जाएँ हम दोनों
प्यार की भड़के चिंगारी ,जगे दिल में ,मोहब्बत फिर
उजड़ते प्यार के गुलशन में आये प्यारी रंगत फिर
महक जाए पुरानी जिंदगी ,बन जाए जन्नत फिर
जवानी की हसीं यादें ,फिर से दोहराएं हम दोनों
चलो एक बार फिर से अजनबी ,बन जाएँ हम दोनों
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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