पत्नीजी को खुश रखो
जिसकी किचकिच ,किस''जैसी है ,
जिसके ताने ,लगे सुहाने
जिसकी तूतू मैमै में भी ,
प्यार बसा ,माने ना माने
जो नयना ,बरसाते शोले ,
नैनमटक्का करते थे कल
आज होंठ जो बकबक करते ,
उनसे चुंबन झरते थे कल
जिनकी रूप अदा का चुंबक ,
खींचा करता आकर्षित कर
उनके संग क्यों खींचातानी ,
अब चलती रहती है दिनभर
क्या कारण घर बना हुआ रण ,
जो होता ,रमणीक कभी था
जहाँ रोज अब ठकठक होती ,
बहुत शांत और ठीक कभी था
उनको आज शिकायत रहती ,
उनका रखता ना ख्याल मैं
उनकी बातें ,एक कान सुन ,
दूजे से देता निकाल मैं
दिन भर व्यस्त काम में रह कर ,
होती पस्त और जाती थक
और शिकायतों का गुबार भी
सारा जाता निकल रात तक
तब वह बिस्तर पर पड़ जाती।
आता कुछ सुकून है मन में
मिट जाती सारी थकान है ,
मेरी बाहों के बंधन में
और फिर आने वाले कल हित ,
संचित ऊर्जा हो जाती है
जो मधुमख्खी ,शहद पिलाती ,
कभी काट भी तो जाती है
उनकी लल्लोचप्पो करना ,
डरना उनकी नाराजी से
उनकी हाँ जी हाँ जी करना ,
खुश रखना,मख्खनबाजी से
यह छोटा सा ही नुस्खा पर ,
भर देता जीवन में खुशियां
इसको अपना कर तो देखो ,
देगा बदल ,आपकी दुनिया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
जिसकी किचकिच ,किस''जैसी है ,
जिसके ताने ,लगे सुहाने
जिसकी तूतू मैमै में भी ,
प्यार बसा ,माने ना माने
जो नयना ,बरसाते शोले ,
नैनमटक्का करते थे कल
आज होंठ जो बकबक करते ,
उनसे चुंबन झरते थे कल
जिनकी रूप अदा का चुंबक ,
खींचा करता आकर्षित कर
उनके संग क्यों खींचातानी ,
अब चलती रहती है दिनभर
क्या कारण घर बना हुआ रण ,
जो होता ,रमणीक कभी था
जहाँ रोज अब ठकठक होती ,
बहुत शांत और ठीक कभी था
उनको आज शिकायत रहती ,
उनका रखता ना ख्याल मैं
उनकी बातें ,एक कान सुन ,
दूजे से देता निकाल मैं
दिन भर व्यस्त काम में रह कर ,
होती पस्त और जाती थक
और शिकायतों का गुबार भी
सारा जाता निकल रात तक
तब वह बिस्तर पर पड़ जाती।
आता कुछ सुकून है मन में
मिट जाती सारी थकान है ,
मेरी बाहों के बंधन में
और फिर आने वाले कल हित ,
संचित ऊर्जा हो जाती है
जो मधुमख्खी ,शहद पिलाती ,
कभी काट भी तो जाती है
उनकी लल्लोचप्पो करना ,
डरना उनकी नाराजी से
उनकी हाँ जी हाँ जी करना ,
खुश रखना,मख्खनबाजी से
यह छोटा सा ही नुस्खा पर ,
भर देता जीवन में खुशियां
इसको अपना कर तो देखो ,
देगा बदल ,आपकी दुनिया
मदन मोहन बाहेती 'घोटू '
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