बादल बरसे यह मन तरसे
काले काले मेघ घिरें है, रिमझिम पानी बरस रहा
गरम चाय के साथ पकोड़े ,खाने को मन तरस रहा
बारिश की बूंदों से भीगी, धरती आज महकती है
सोंधी सोंधी इसकी खुशबू, कितनी प्यारी लगती है
कहीं तले जा रहे समोसे , जिव्हा उधर लपकती है
बाहर पानी टपक रहा है, मुंह से लार टपकती है
गरम जलेबी,रस से भीनी,मन पर कोई बस न रहा काले कले मेघ घिरें है, रिमझिम पानी बरस रहा
भीगा भीगा, गीला गीला, प्यारा प्यारा यह मौसम
पानी की बौछारें ठंडी,हुआ तर बतर तन और मन
घर में ऑफिस खोले बैठे ,पिया करोना के कारण मानसून पर सून न माने,सुने नहीं मेरी साजन
पास पास हम ,आपस में पर ,सन्नाटा सा पसर रहा
काले काले मेघ घिरें है,रिमझिम पानी बरस रहा
मदन मोहन बाहेती घोटू
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