Tuesday, June 22, 2021

छोड़ो चिंता प्यार लुटाओ

 यूं ही दिन भर तुम , गृहस्थी के चक्कर में 
 उलझी रह करती हो ,घर का सब काम धंधा 
 और रात जब मुझसे, तन्हाई के क्षणों में ,
 मिलती तो पेश करती, शिकायतों का पुलिंदा 
 अरे परेशानियां तो ,हमेशा ही जिंदगी के ,
 संग लगी रहती है और आनी जानी है 
 गृहस्थी की ओखली में ,अगर सर जो डाला है,
  मार फिर मूसल की ,खानी ही खानी है 
  एक दूसरे के लिए ,मिलते कुछ पल सुख के, 
  गिले और शिकवों पर ध्यान ना दिया करें 
  छोड़े चिंतायें और प्यार बस लुटाएँ हम,
  मिलजुल कर भरपूर जिंदगी जिया करें

मदन मोहन बाहेती घोटू

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