पप्पू जी ने क्या-क्या सीखा
जब से सत्ता ने मुख मोड़ा हम घर पर टिकना सीख गए पहले हम फाड़ते थे चिट्ठी ,अब चिट्ठी लिखना सीख गए दुनिया कहती हम पप्पू हैं, और बात बेतुकी करते हैं,
अब ऊल जुलूल हरकतों से, टीवी पर दिखना सीख गए कोई कितना भी कुछ बोले,हम पर कुछ असरनहींहोता , कुछ भी डालो सब फिसल जाए, हम बनना चिकना सीख गए
जो भी कुर्सी है हाथों में, हम कभी ना उसको छोड़ेंगे कोई ना हमें उखाड़ सके ,कुर्सी से चिपकना सीख गए क्या-क्या सपने हमने देखे, कुर्सी पर चढ़ेंऔर दूल्हा बने, ये भी न मिला,वो भी न मिला, हाथों को मलना सीखगए
इस तरह फकीरी वाले दिन,प्रभु नहीं किसी कोदिखलाएं
पहले मंहगे बिकते थे हम, अब सस्ते बिकना सीख गए
घोटू
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