चतुर्भुज
चार भुजाएं जब ऐसे मिलती है
कि उनके बीच में बनने वाला क्षेत्र
आयताकार या वर्गाकार हो जाता है
तो वह चतुर्भुज कहलाता है
पर चार भुजाएं हैं जब शंख चक्र गदा, पद्म
धारण कर लेती है
तो भगवान का चतुर्भुज रूप दिखलाता है
एक चतुर्भुज का दायरा सीमित होता है
एक चतुर्भुज अपरिमित होता है
सीमित दायरे वाला इंसान है
अपरिमित दायरे वाला भगवान है
इसीलिए हम अपनी भुजाएं इस तरह काम में लाएं
कि सिर्फ आयताकार होकर सीमित न रह जाएं
बल्कि ईश्वर की तरह विश्वरूपी,
व्यापक और वृहद आकार में,
अपनी सीमाओं को फैलाएं
चर्तुभुज हो जाएं
घोटू
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