मेरी चाहत
नहीं चाहिए हीरा मोती, नहीं चाहिए बंगला कोठी
बस अपना कर सकूं गुजारा, चाहूं नहीं कमाई खोटी जब तक जीयूं स्वस्थ रहूं मैं,मुझको अच्छी सेहत देना
सबके साथ रहूं हिलमिल कर,प्रभु प्यार की दौलत देना
तूने जब जीवन ये दिया है ,तो सुख दुख भी बांटे होंगे
कभी फूल बरसाए होंगे ,कभी चुभाये कांटे होंगे
सब विपदायें झेल सकूं मैं,मुझको इतनी हिम्मत देना
सबके साथ रहूं हिलमिल कर, प्रभु प्यार की दौलत देना
ऐसा मेरा हृदय बनाना ,भरा हुआ जो संवेदन से दुखियारों के काम आ सकूं,मैं तन से मन से और धन से
श्रद्धा रखूं ,बुजुर्गों के प्रति, मेरे मन में इज़्जत देना
सबके साथ रहूं हिलमिल कर, प्रभु प्यार की दौलत देना
रहे नम्रता भरा आचरण और घमंड भी जरा नहीं हो
मेरे हाथों कभी किसी का, भूले से भी, बुरा नहीं हो
मन में भक्ति, तन में शक्ति और सब के प्रति चाहत देना
सब के साथ रहूं हिलमिल कर ,प्रभु प्यार की दौलत देना
मदन मोहन बाहेती घोटू
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