नटखट
सब कहते जब मैं बच्चा था ,मैं शैतान बड़ा नटखट था
कभी चैन से नहीं बैठता, करता रहता उलट पलट था
सभी चीज कर जाता था चट
मैं था नटखट, नटखट नटखट
बढ़ा हुआ पत्नी कहने पर नाचा करता बनकर नट मैं
नहीं चैन पलभर भी पाया,फंसा गृहस्थी की खटपट में
काम सभी करता था झटपट
मैं था नटखट ,नटखट नटखट
अब बूढ़ा हूं ,मेरे अस्थिपंजर के ढीले हैं सब नट
लेटा रहता पड़ा खाट पर, मुझसे ना होती है खटपट
हर एक उम्र में झंझट झंझट
रहा उमरभर,नटखट नटखट
मदन मोहन बाहेती घोटू
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