आग लगी है
कोई नहीं चैन से बैठा,
ऐसी भागम भाग लगी है,
महंगाई से सभी त्रस्त है,
हर एक चीज में आग लगी है
घी और तेल, गेंहू और चावल
दिन दिन महंगे होते जाते
दाम दूध के और दही के ,
आसमान को छूते जाते
सब्जी महंगी, फल भी महंगे ,
महंगे कपड़े ,जूते चप्पल
यातायात हो गया महंगा,
मंहगे पेट्रोल और डीजल
कैसे कोई करे गुजारा ,
सभी तरफ बढ़ रही ठगी है
महंगाई से सभी त्रस्त है,
हर एक चीज में आग लगी है
पांच रुपए था, कभी समोसा,
अब है बीस रूपए में आता
महंगा हुआ चाय का प्याला ,
मुंह से गले उतर ना पाता
दाल और रोटी खाने वाले,
के अब कम हो गए निवाले
अब गरीब और मध्यमवर्गी
कैसे घर का खर्च संभाले
पेट नहीं भरता भाषण से ,
जबकि पेट में भूख जगी है
महंगाई से सभी त्रस्त है,
हर एक चीज में आग लगी है
आग लगी है जनसंख्या में,
बढ़ती ही जाती आबादी
सीमा पर कर रहे उपद्रव,
कुछ आतंकी और उन्मादी
आग लगी है बेकारी की,
सभी तरफ है मारामारी
अर्थव्यवस्था डूब रही है ,
आवश्यक है जाए संभाली
मगर देश को कैसे लूटें,
नेताओं में होड़ लगी है
महंगाई से सभी त्रस्त हैं,
हर एक चीज में आग लगी है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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