प्रतिबंधित जीवन
मुझको मेरी बीमारी ने ,कैसे दिन दिखलाए
ये मत खाओ,वो मत खाओ ,सौ प्रतिबंध लगाये
जितना ज्यादा प्रतिबंध है , उतना मन ललचाए
कितने महीने बीत गए हैं ,चाट चटपटी खाए गरम-गरम आलू टिक्की की, खुशबू सौंधी प्यारी
भाजी और पाव खाने को तरसे जीभ हमारी
फूले हुए गोलगप्पे भर खट्टा मीठा पानी
ठंडे ठंडे दही के भल्ले, पापड़ी चाट सुहानी
प्यारी भेलपुरी बंबइया,बड़ा पाव की जोड़ी
भूल न पाए भटूरे छोले, जिह्वा बड़ी निगोड़ी
चीनी चाऊमीन के लच्छे और मूंग के चीले
गरम समोसे और कचोरी ,बर्गर बड़े रसीले
कितने दिन हो गए चखे ना मिष्ठानों को भूले
गरम जलेबी ,गाजर हलवा ,रसमलाई रसगुल्ले
कब फिर से यह स्वाद चखेंगे,तरसे जीभ हमारी
हे प्रभु शीघ्र ठीक कर दे तू मेरी सब बीमारी
हटे सभी प्रतिबंध ठीक से खुल कर जी भर खाऊं
सवा किलो बूंदी के लड्डू का प्रसाद चढ़ाऊं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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