नेता और रिश्वत
मैंने पूछा एक नेता से
लोग तुम्हें है भ्रष्ट बताते
बिन रिश्वत कुछ काम न करते
सदा तिजोरी अपनी भरते
नेता बोले बात गलत है
यह मुझ पर झूठी तोहमत है
प्रगति पथ हो देश अग्रसर
यही ख्याल बस मन में रख कर
करता बड़े-बड़े जब सौदे
करना पड़ते कुछ समझौते
काम देश प्रगति का करता
सेवा शुल्क ले लिया करता
इतना तो मेरा हक बनता
पर रिश्वत कहती है जनता
फिर थोड़ा हंस ,बोले नेता
मैं रिश्वत ना ,प्रतिशत लेता
सच कहता हूं ईश्वर साक्षी
लिया अगर जो एक रुपया भी
जो कुछ लिया, लिया डॉलर में
एक रुपया ना आया घर में
जो भी मिलता है ठेकों में
सभी जमा है स्विस बैंकों में
हर सौदे में जो भी पाता
उसे चुनाव के लिए बचाता
पैसा जनता का, जनता में
बंट जाता है वोट जुटाने
और तुम कहते यह रिश्वत है
सोच तुम्हारी बहुत गलत है
मदन मोहन बाहेती घोटू
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