सर्दी की सीख
जाते-जाते सीख दे गया ,
मौसम सर्दी भरा भयंकर
कोई कुछ न बिगाड़ सकेगा ,
अगर रखोगे खुद को ढक कर
चाहे हवा हो चुभने वाली ,
या फिर ठिठुराता मौसम हो
चाहे कोहरा कहर ढा रहा,
और हो गया सूरज गुम हो
भले धूप ने फेर लिया हो ,
इस दुख की बेला में मुख हो
परिस्थिति अनुकूल नहीं हो,
उल्टा अगर हवा का रुख हो
ऐसे में अपना बचाव तुम ,
करो यही है अति आवश्यक
शीत शत्रु से बदन बचाओ ,
कंबल और रजाई से ढक
और यह सबसे बेहतर होगा,
छुपे रहो तुम घर के अंदर
जाते-जाते सीख दे गया
मौसम सर्दी भरा भयंकर
जीवन सुख दुख का संगम है
कभी सर्द है,कभी गरम है
नहीं जरूरी, हर स्थिति में ,
टक्कर लेना ही उत्तम है
कभी-कभी अज्ञातवास में ,
पांडव जैसा रहना छुप कर
जीवन के संघर्ष काल में,
अक्सर हो सकता है हितकर
यह कमजोरी नहीं तुम्हारी
किंतु खेल का एक दाव है
शत्रु अगर हावी है तुम पर,
तो झुक जाने मे बचाव है
बिना लड़े ही जीत जाओगे,
अगर रहोगे थोड़ा बचकर
जाते जाते सीख दे गया ,
मौसम सर्दी भरा भयंकर
मदन मोहन बाहेती घोटू
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