Friday, January 6, 2023

नींद

जब मैं नन्हा शिशु होता था 
लगती भूख बहुत रोता था 
दूध पिला ,मां देती थपकी 
तब मुझको आती थी झपकी
 सुख दायक मां की गोदी थी 
 वह मासूम नींद होती थी 
 
बड़ा हुआ ,कर दिनभर मस्ती
 जब थक जाता ,छाती सुस्ती 
 नाश्ते में जो भी मिल जाता 
 खा लेता, थक कर सो जाता 
 ना चिंता ना कोई फिकर थी 
 वह निश्चिंत नींद सुख कर थी
 
 शुरू हुआ फिर स्कूल जाना 
 बस्ता लाद, सुबह रोजाना 
 करो पढ़ाई स्कूल जाकर 
 होमवर्क करना घर आकर 
 जब हो जाती पलके भारी 
 आती नींद बड़ी ही प्यारी 
 
आई जवानी, उम्र बढ़ गई 
और किसी से नजर लड़ गई 
डूबा  रह उसके ख्वाबों में 
रस आता उसकी यादों में 
आती नींद ,न पर सोता था 
उसके सपनों में खोता था 

पूर्ण हुए जब सपने मेरे 
उसके साथ ले लिए फेरे 
हम पति-पत्नी प्रेमी पागल 
रहते डूब प्रेम में हर पल 
मधुर प्रेम क्रीड़ा मनभाती
हमें रात भर नींद ना आती 

बीत गए दिन मस्ती के फिर 
बोझा पड़ा गृहस्थी का सिर 
जिम्मेदारी मुझ पर आई 
करने  मैं लग गया कमाई 
धन अर्जन में मन उलझाता
नहीं ठीक से ,मैं सो पाता 

जब धन दौलत युक्त हुआ मैं
 जिम्मेदारी मुक्त हुआ मैं
 कितनी बार भले दिल टूटा 
 माया से पर मोह न छूटा 
 नहीं चैन मिल पाता दिन भर 
 सोता करवट बदल बदल कर 
 
अब जीवन अंतिम पड़ाव पर 
जीने का ना गया चाव पर 
यात्रा का आ गया छोर है 
पर जीने की चाह और है 
पास ईश्वर जब बुलायेगा 
चिर निद्रा में चैन आएगा

मदन मोहन बाहेती घोटू 

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