कल की चिंता
मुझे पता ना, कब जाऊंगा,
तुम्हें पता ना कब जाओगे
सबके जाने का दिन तय है,
जब जाना है तब जाओगे
कल जाने की चिंता में क्यों,
अपना आज बिगाड़ रहे हो
हरी-भरी जीवन की बगिया
को तुम व्यर्थ उजाड़ रहे हो
लंबे जीवन की इच्छा में ,
कई सुखों से तुम हो वंचित
यह मत खाओ ,वह मत खाओ
कितने व्यंजन है प्रतिबंधित
कई दवाई की गोली तुम,
नित्य गटकते,टानिक पीते
खुद को बांधा, अनुशासन में ,
बहुत नियंत्रित जीवन जीते
इच्छा माफिक, कुछ ना करते ,
अपने मन को मार रहे हो
कल जाने की चिंता में क्यों
अपना आज बिगाड़ रहे हो
मौत सभी को ही आनी है
कटु सत्य है यह जीवन का
तो फिर जब तक जीवन जियें,
क्यों न करें हम अपने मन का
हर एक बात में ,इससे ,उससे
क्यों करते हैं हम समझौता
खुद को तरसा तरसा जीते ,
यह भी कोई जीना होता
हो स्वतंत्र तुम खुल कर जियो,
क्या तुम सोच विचार रहे हो
कल जीने की चिंता में क्यों
अपना आज बिगाड़ रहे हो
मदन मोहन बाहेती घोटू
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