मैंने वो दिन भी देखे हैं
जब जीना पल पल मुश्किल था,
मैंने वो दिन भी देखे हैं
मैं आपातकालीन सेज पर,
पड़ा हुआ था रुग्णालय में
मेरी सांसे सहम रही थी ,
पास खड़ी मृत्यु के भय में
लेकिन जीने की उत्कंठा ,
मुझको दिला रही थी शक्ति
आत्मीय जन और मित्रों की
कई दुआएं,पूजा, भक्ति
मुझे छीन कर मृत्यु मुख से
फिर से वापस ले आई थी
और चिकित्सक की मेहनत भी
धीरे-धीरे रंग लाई थी
नियति की लीला के आगे ,
सबने ही घुटने टेके हैं
जब जीना पल पल मुश्किल था,
मैंने वो दिन भी देखे हैं
उठ ना पाता था बिस्तर से,
तन इतना कमजोर हुआ था
आशा और निराशाओं का
मन में ऐसा दौर हुआ था
मन कहता था हिम्मत रख, जी,
बुरा वक्त है कट जाएगा
तेरे सब सत्कर्मों का फल
तुझ में नवजीवन लायेगा
मेरी इच्छा शक्ति रह रह,
मुझको दिला रही थी ढाढस
नई जिंदगी शुरू हो गई ,
पहले के जैसी जस की तस
दौर दूसरा यह जीवन का ,
शुरू हुआ खुशियां लेके है
जब जीना पल पल मुश्किल था
मैंने वो दिन भी देखे हैं
मदन मोहन बाहेती घोटू
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