Sunday, March 24, 2024

जमाने की बात


जमाने की यादें जमा कर रखी है,

बचत की रकम बैंक में सब जमा है

महफिल में कोई, चले जाते हैं तो,

 रंग अपनी बातों से देते जमा है 

तजुर्बों की पूंजी जमा कर रखी है 

देखा सभी क्षेत्रों को आजमा है 

कभी पानी को यह बर्फ में जमाते 

और दूध का दही देते जमा है 

बेसन की, मावे की बर्फी जमा कर

रहा ना दुरुस्त इनका हाजमा है 

मगर चुलबुलापन ,अब भी कायम

चेहरे पर अब भी , जवानी जमा है


मदन मोहन बाहेती घोटू

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